💫Topic
सज्द-ए-सह्व (भूल के सज्दे) का बयान🔰🔻🔰🔻🔰🔻🔰🔻🔰
💠 तीन या चार रकअत के शक पर सज्दा
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وَحَدَّثَنِي مُحَمَّدُ بْنُ أَحْمَدَ بْنِ أَبِي خَلَفٍ، حَدَّثَنَا مُوسَى بْنُ دَاوُدَ، حَدَّثَنَا سُلَيْمَانُ بْنُ بِلاَلٍ، عَنْ زَيْدِ بْنِ أَسْلَمَ، عَنْ عَطَاءِ بْنِ يَسَارٍ، عَنْ أَبِي سَعِيدٍ الْخُدْرِيِّ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم " إِذَا شَكَّ أَحَدُكُمْ فِي صَلاَتِهِ فَلَمْ يَدْرِ كَمْ صَلَّى ثَلاَثًا أَمْ أَرْبَعًا فَلْيَطْرَحِ الشَّكَّ وَلْيَبْنِ عَلَى مَا اسْتَيْقَنَ ثُمَّ يَسْجُدُ سَجْدَتَيْنِ قَبْلَ أَنْ يُسَلِّمَ فَإِنْ كَانَ صَلَّى خَمْسًا شَفَعْنَ لَهُ صَلاَتَهُ وَإِنْ كَانَ صَلَّى إِتْمَامًا لأَرْبَعٍ كَانَتَا تَرْغِيمًا لِلشَّيْطَانِ .
📎"अबु सईद खुदरी रजि. से कहते है की रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया 'अगर तुम में से किसी को रकअतो की संख्या के बारे में शक पैदा हो जाए की तीन पढ़ी है या चार? तो शक को छोड़ कर यकींन पर भरोसा करे। फिर सलाम फेरने से पहले दो सज्दे करे। अगर उस ने पांच रकअते पढ़ी थी तो यह सज्दे उस की नमाज की रकअतो को जुफ्त बना देंगे। और अगर उसने पूरी चार रकअते पढ़ी थी तो सज्दे शैतान के लिए जिल्लत का सबब होंगे"
📚Reference : Sahih Muslim 571 (1272)
حَدَّثَنَا أَبُو يُوسُفَ الرَّقِّيُّ، مُحَمَّدُ بْنُ أَحْمَدَ الصَّيْدَلاَنِيُّ حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ سَلَمَةَ، عَنْ مُحَمَّدِ بْنِ إِسْحَاقَ، عَنْ مَكْحُولٍ، عَنْ كُرَيْبٍ، عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ، عَنْ عَبْدِ الرَّحْمَنِ بْنِ عَوْفٍ، قَالَ سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ ـ صلى الله عليه وسلم ـ يَقُولُ " إِذَا شَكَّ أَحَدُكُمْ فِي الثِّنْتَيْنِ وَالْوَاحِدَةِ فَلْيَجْعَلْهَا وَاحِدَةً وَإِذَا شَكَّ فِي الثِّنْتَيْنِ وَالثَّلاَثِ فَلْيَجْعَلْهَا ثِنْتَيْنِ وَإِذَا شَكَّ فِي الثَّلاَثِ وَالأَرْبَعِ فَلْيَجْعَلْهَا ثَلاَثًا ثُمَّ لْيُتِمَّ مَا بَقِيَ مِنْ صَلاَتِهِ حَتَّى يَكُونَ الْوَهْمُ فِي الزِّيَادَةِ ثُمَّ يَسْجُدْ سَجْدَتَيْنِ وَهُوَ جَالِسٌ قَبْلَ أَنْ يُسَلِّمَ .
📎"हजरत अब्दुल रहमान बिन औफ रजि.को बयान फ़र्माते है के मेने रसूलुल्लाह ﷺ यह इरशाद फ़र्माते सुना के जब तुम में से किसी को दो और एक में शक हो तो इस (दो) को एक करार दे और जब दो और तीन में शक हो तो इस (तीन) को दो रकअत करार दे और जब तीन और चार में शक हो तो इन (चार) को तीन करार दे फिर अपनी बाकी नमाज पूरी करे ताके वहम ज्यादा का ही रहे, फिर अपनी बाकी नमाज पूरी करे ताके वहम ज्यादा का ही रहे, फिर दो सज्दे कर ले, बैठ कर सलाम फेरने से पहले"
📚Reference : Sunan Ibn Majah 1209
🌟 सज्द-ए-सह्व का तरीका यह है की अंतिम कायदे में तशह्हूद (दरूद) और दुआ पढ़ने के बाद अल्लाहु अकबर कह कर सज्दे में जाए, फिर उठ कर जलसे में बैठ कर दूसरा सज्दा करे,और फिर उठ कर सलाम फेर कर नमाज से फारिग हों। ऊपर बयान की गई हदीस में सलाम फेरने से पहले सज्द-ए-सह्व का हुक्म है, इसलिए इस स्थिति में सह्व के दो सज्दे सलाम फेरने से पहले करने चाहिए।
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💠कायदा अव्वल छोड़ने पर सज्दा
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حَدَّثَنَا أَبُو الْيَمَانِ، قَالَ أَخْبَرَنَا شُعَيْبٌ، عَنِ الزُّهْرِيِّ، قَالَ حَدَّثَنِي عَبْدُ الرَّحْمَنِ بْنُ هُرْمُزَ، مَوْلَى بَنِي عَبْدِ الْمُطَّلِبِ ـ وَقَالَ مَرَّةً مَوْلَى رَبِيعَةَ بْنِ الْحَارِثِ ـ أَنَّ عَبْدَ اللَّهِ ابْنَ بُحَيْنَةَ ـ وَهْوَ مِنْ أَزْدِ شَنُوءَةَ وَهْوَ حَلِيفٌ لِبَنِي عَبْدِ مَنَافٍ، وَكَانَ مِنْ أَصْحَابِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم. أَنَّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم صَلَّى بِهِمُ الظُّهْرَ فَقَامَ فِي الرَّكْعَتَيْنِ الأُولَيَيْنِ لَمْ يَجْلِسْ، فَقَامَ النَّاسُ مَعَهُ حَتَّى إِذَا قَضَى الصَّلاَةَ، وَانْتَظَرَ النَّاسُ تَسْلِيمَهُ، كَبَّرَ وَهْوَ جَالِسٌ، فَسَجَدَ سَجْدَتَيْنِ قَبْلَ أَنْ يُسَلِّمَ ثُمَّ سَلَّمَ.
📎"हजरत अब्दुल्लाह बिन बुहैना रजि. से रिवयत है: नबी करीम ﷺ ने इन्हें ज़ुहर की नमाज पढ़ाई और दो रकअतो पर बैठने के बजाएं खड़े हो गए चुनाँचे सारे लोग भी इन के साथ खड़े हो गए, जब नमाज खत्म होने वाली थी और लोग आप ﷺ के सलाम फेरने का इन्तेजार कर रहे थे तो आप ﷺ ने «अल्लाहु अकबर» कहा और सलाम फेरने से पहले दो सज्दे किये,फिर सलाम फेरा"
📚Reference : Sahih al-Bukhari 829
🌟नबी करीम ﷺ के मुबारक काम से साबित हुआ की कायदा अव्वल छोड़ने पर सज्द-ए-सह्व सलाम फेरने से पहले करना चाहिए।
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💠नमाज पढ़ कर बातें कर चुकने के बाद सज्दा
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وَحَدَّثَنَا أَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، وَزُهَيْرُ بْنُ حَرْبٍ، جَمِيعًا عَنِ ابْنِ عُلَيَّةَ، - قَالَ زُهَيْرٌ حَدَّثَنَا إِسْمَاعِيلُ بْنُ إِبْرَاهِيمَ، - عَنْ خَالِدٍ، عَنْ أَبِي قِلاَبَةَ، عَنْ أَبِي الْمُهَلَّبِ، عَنْ عِمْرَانَ بْنِ حُصَيْنٍ، أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم صَلَّى الْعَصْرَ فَسَلَّمَ فِي ثَلاَثِ رَكَعَاتٍ ثُمَّ دَخَلَ مَنْزِلَهُ فَقَامَ إِلَيْهِ رَجُلٌ يُقَالُ لَهُ الْخِرْبَاقُ وَكَانَ فِي يَدَيْهِ طُولٌ فَقَالَ يَا رَسُولَ اللَّهِ . فَذَكَرَ لَهُ صَنِيعَهُ . وَخَرَجَ غَضْبَانَ يَجُرُّ رِدَاءَهُ حَتَّى انْتَهَى إِلَى النَّاسِ فَقَالَ " أَصَدَقَ هَذَا " . قَالُوا نَعَمْ . فَصَلَّى رَكْعَةً ثُمَّ سَلَّمَ ثُمَّ سَجَدَ سَجْدَتَيْنِ ثُمَّ سَلَّمَ .
📎"इमरान बिन हुसैन रजि. से रिवायत है रसूलुल्लाह ﷺ ने अस्र की तीन रकअत पढ़ कर सलाम फेर दिया और अपने घर चले गए तब आप की पास एक शख्स गया जिस की खरबाक' कहते थे और इस की हाथ जरा लंबे थे वो आप से बोला जो आप ﷺ ने किया था (यानी तीन रकअत पढ़ने का हाल बयान किया) आप चादर खीचते हुए गुस्से में लगे (क्योंके आप को नमाज का बहुत ख्याल था) यहाँ तक के लोगो के पास पहुंचे गए और पूछा क्या ये सच कहता है? लोगो ने कहा 'हा' । फिर आप ﷺ ने एक रकअत पढ़ी और सलाम फेरा फिर दो सज्दे किये फिर सलाम फेरा।"
📚Reference : Sahih Muslim 1293 (574)
🌟 इस हदीस से पता चला की जो आदमी चार रकअत के स्थान पर तीन रकअत पढ़कर सलाम फेर दे और फिर जब उस को मालुम हो जाए की मैने तीन रकअत ही पढ़ी है इस दौरान चाहे वो घर भी चला जाए और बाते भी कर ले तो फिर भी वह एक रकअत जो रह गयी है उसे अदा करके सलाम फेरे और फिर सज्द-ए-सह्व करके सलाम फेरे, उसको सारी नमाज दोहराने की जरुरत नहीं।
और एक यह बात भी मालुम हुई की नमाज में अगर सज्द-ए-सह्व पड जाए और किसी वजह से नमाजी सज्द-ए-सह्व न कर सके और सलाम फेर कर बाते वगैरह कर ले फिर याद आने पर जब सज्द-ए-सह्व करना चाहे तो सलाम के बाद करे और फिर सलाम फेरकर नमाज से फारिग हो।
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💠चार की जगह पांच रकअत पढ़ने पर सज्दा
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حَدَّثَنَا أَبُو الْوَلِيدِ، حَدَّثَنَا شُعْبَةُ، عَنِ الْحَكَمِ، عَنْ إِبْرَاهِيمَ، عَنْ عَلْقَمَةَ، عَنْ عَبْدِ اللَّهِ ـ رضى الله عنه ـ أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم صَلَّى الظُّهْرَ خَمْسًا فَقِيلَ لَهُ أَزِيدَ فِي الصَّلاَةِ فَقَالَ " وَمَا ذَاكَ ". قَالَ صَلَّيْتَ خَمْسًا. فَسَجَدَ سَجْدَتَيْنِ بَعْدَ مَا سَلَّمَ.
📎"हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रजि. से रिवायत है की रसूलुल्लाह ﷺ ने ज़ुहर में पांच रकअत पढ़ ली , इस लिए आप ﷺ से पूछा गया के क्या नमाज की रकअते ज्यादा हो गयी है? आप ﷺ ने फ़र्माया के क्या बात है? कहने वाले ने कहा के आप ﷺ ने पांच रकअते पढ़ी है, इस
पर आप ﷺ ने सलाम फेरने के बाद दो सज्दे सहु किये।"
Reference : Sahih al-Bukhari 1226
🌟इस हदीस से पता चलता है की इस स्थिति में सज्द-ए-सह्व सलाम फेरने के बाद करे।
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♻इस टॉपिक में तमाम अहादीस के साथ हजरत जुल यदैन रजि. की हदीस (बुखारी हदीस न. 1229) भी शामिल कर ली जाए तो इन तमाम रिवायतों का निचोड़ यह निकलता है की
☑ जब इमाम सज्द-ए-सह्व किये बिना सलाम फेर दे और मुकतदी उसे याद दिलाये तो वह बाकी रह गयी रकअतो को पढ़ाएगा और सलाम फेरने के बाद सज्द-ए-सह्व करेगा।
☑और अगर मुकतदी उसे याद दिलाये की हम ने एक रकअत ज्यादा पढ़ ली है, तो जाहिर है सलाम फेर चूका है अब उसे केवल सज्द-ए-सह्व करना है।
☑अगर रकअतो की संख्या में शुब्हा हो जाए (या पहला कायदा छुट जाए) तो फिर सलाम फेरने से पहले सज्द-ए-सह्व करेगा। अलबत्ता अगर यह शक पैदा हो की मेने एक रकअत पढ़ी है या दो? दो पढ़ी है या तीन तो वह कम संख्या को मान कर नमाज मुकम्मल करे।
और अगर यह शक पैदा हो जाए की तीन पढ़ी है या चार ? तो वह शक को छोड़े और अपने यकीन पर अमल करे (सज्द-ए-सह्व सलाम फेरने से पहले ही करेगा)
☑अगर नमाजी को किसी वजह से यह अहकाम याद न रहे या वह ऐसी भूल (सह्व) का शिकार हो गया जो इन अहादीस में बयान नहीं है तो फिर उसे जान लेना चाहिए की नबी करीम ﷺ ने सलाम फेरने से पहले भी सह्व के दो सज्दे किये है और सलाम फेरने के बाद भी, वह जिस सूरत पर भी अमल करेगा अल्लाह तआला उसे कबुल कर लेगा।
🌹इंशा अल्लाह।
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💢Note : सज्द-ए-सह्व सलाम से पहले या बाद का जिक्र तो अहादीस में आप पढ़ चुके है। लेकिन केवल एक ही तरफ सलाम फेर कर सज्दा करना और फिर अत्तहिय्यात पढ़ कर सलाम फेरना किसी भी सहीह हदीस से साबित नहीं है।
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--------------| وَاللَّهُ أَعْلَمُ ।
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