Friday 19 February 2016

नमाज में हाथ कहा और कैसे बांधे जाएं

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नमाज में हाथ कहा और कैसे बांधे जाएं
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 حَدَّثَنَا أَبُو تَوْبَةَ، حَدَّثَنَا الْهَيْثَمُ، - يَعْنِي ابْنَ حُمَيْدٍ - عَنْ ثَوْرٍ، عَنْ سُلَيْمَانَ بْنِ مُوسَى، عَنْ طَاوُسٍ، قَالَ كَانَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم يَضَعُ يَدَهُ الْيُمْنَى عَلَى يَدِهِ الْيُسْرَى ثُمَّ يَشُدُّ بَيْنَهُمَا عَلَى صَدْرِهِ وَهُوَ فِي الصَّلاَةِ ‏."‏
۞"हजरत ताऊस रजि. फरमाते है की अल्लाह के रसूल (ﷺ) अपना दायां हाथ नमाज में अपने  बाए हाथ पर रखकर अपने सीने पर सख्ती से बाँधा करते थे"
सहीह (अल्बानी)
हवाला : अबु दाऊद 759
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۞"वाइल बिन हुज्र रजि. से रिवायत है उन्होंने बयान किया की मेने नबी करीम (ﷺ) के साथ नमाज अदा की (तो क्या देखा कि) आप ने अपना दायां हाथ अपने बायें हाथ पर रख कर सीने पर बाँध लिया"
 इब्ने खुजैमा 749
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حَدَّثَنَا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ مَسْلَمَةَ، عَنْ مَالِكٍ، عَنْ أَبِي حَازِمٍ، عَنْ سَهْلِ بْنِ سَعْدٍ، قَالَ كَانَ النَّاسُ يُؤْمَرُونَ أَنْ يَضَعَ الرَّجُلُ الْيَدَ الْيُمْنَى عَلَى ذِرَاعِهِ الْيُسْرَى فِي الصَّلاَةِ
۞"सहल बिन साद रजि. से रिवायत है की लोगो को यह हुक्म दिया जाता था की नमाज में दायां हाथ बायीं कलाई पर रखो।
अबु हाजिम कहते है,'मै जानता हु की यह आदेश  रसूलुल्लाह (ﷺ) की तरफ से दिया गया था'।"
हवाला: सहीह बुखारी 740
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"मसला यह है की हाथ को बाँधा कहा जाए ? सीना पर या नाफ के नीचे ? कुछ उलेमा नाफ के नीचे बांधते है मगर नाफ के नीचे हाथ बाँधने वाली हदीस जईफ (कमजोर) है, सहीह नहीं है ।
ऊपर की हदीस (नंबर 749) को इब्ने खुजैमा ने अपनी सहीह में नक़ल किया है जिस की ताईद मुस्नद अहमद में हलब कि हदीस से होती है की नबी करीम सलल्लाहु अल्लैहि व सल्लम अपने हाथ को सीने पर बांधते थे। और रिवायत में "नाफ के ऊपर" के शब्द नक़ल है। "नाफ के निचे" के मुकाबले में "नाफ के ऊपर" वाली हदीस भारी है और उलेमा ए हक़ के नजदीक कवी (मजबूत) है।"
✨बुलूगुल मराम

♻तमाम अहादीस की रौशनी से नमाजी को दायां हाथ बायीं कलाई पर रखकर अपने हाथ सीने पर बांधने चाहिए।
नमाज में नाफ के नीचे हाथ बाँधने वाली रिवायत इंतेहाई जईफ है।
इमाम नववी (रह.) ने शरह मुस्लिम में लिखा है - 'मुत्तफकुन अला जुअफिहि0" (इस रिवायत के जईफ होने पर इत्तिफ़ाक है) और जो रिवायत 'तहतुस्स-सुर्रति' 'नाफ के नीचे' हाथ बाँधने के बारे में अबूदाऊद में रिवायत है इसमें अब्दुल रहमान बिन इस्हाक़ अल वास्ती रावी जईफ है।
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✅हनफ़ी मसलक की मोतबर किताबो से नमाज में  सिने पर हाथ बाँधने वाली हदीस की सहीह होने की दलील तथा नाफ के निचे हाथ बाँधने वाली हदीस के जईफ होने की दलील
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۞नाफ़ के नीचे हाथ बांधने की हदीस बइत्‍तेफ़ाक़ अइम्‍मा मुहद्दसीन जईफ़ है।
~हिदाया उर्दू तर्जुमा जिल्‍द -1,सफा-57
~हिदाया अरबी जिल्द-1, किताब अल सलात,सफा-71 पर यह इबारत है:-
ضعيف متفق على تضعيفه

नाफ के नीचे हाथ बाँधने की रिवायत जईफ है और इसपर इमामो का इत्तेफाक है

नोट :- ये इबारत अल्लामा ऐनी रह. ने शरह अल-हिदाया (2/171) में नकल की है,जो दरअसल नाफ के निचे हाथ बान्धने वाली हदीस हजरत अली रजि0 के मुताल्लिक़ इमाम नववी के कौल है- वो फरमाते है:

أما حديث علي رضى الله عنه أنه قال : من السنة فى الصلاة وضع الأكف تحت السرة "ضعيف متفق على تضعيفه"

यानी हजरत अली रजि0 की ये हदीस बिला-इत्तेफाक जईफ (कमजोर) है।
मुलाहिज़ा हो : शरह अल- नववी 4/115

۞हिदाया उर्दू बनाम "ऐन उल हिदाया" जिल्द-1 सफा-59 है
"सीने पर हाथ बाँधने की हदीस कवी (सहीह) है"

۞सीने पर हाथ बांधने की हदीस बइत्‍तेफाक अइम्‍मा मुहद्दसीन सही है। ~शरह विकाया उर्दू  सफा-93 पर वे यही बयान मौजूद है।

۞हिदाया अरबी किताब उल सलात सफा-82 के हासिये नंबर 23 पर ये इबारत है और यह इबारत कट्टर-हनफ़ी की है:
هذا تعليل بمقابلة حديث وائل فَسَيُرَدُّ، وحديث علي لايعارضه لما ذكرنامن ضعفه
"नाफ के निचे हाथ बांधना की हदीस मर्फुह नहीं , वो हजरत अली रजि0 का कौल है और जईफ है"
(देखे शरह विकाया उर्दू सफा 13)
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--------------|    ‏ وَاللَّهُ أَعْلَمُ    ।
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