✨Topic
हर मूसलमान रफयदैन के साथ नमाज पढ़े
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حَدَّثَنَا عَيَّاشٌ، قَالَ حَدَّثَنَا عَبْدُ الأَعْلَى، قَالَ حَدَّثَنَا عُبَيْدُ اللَّهِ، عَنْ نَافِعٍ، أَنَّ ابْنَ عُمَرَ، كَانَ إِذَا دَخَلَ فِي الصَّلاَةِ كَبَّرَ وَرَفَعَ يَدَيْهِ، وَإِذَا رَكَعَ رَفَعَ يَدَيْهِ، وَإِذَا قَالَ سَمِعَ اللَّهُ لِمَنْ حَمِدَهُ. رَفَعَ يَدَيْهِ، وَإِذَا قَامَ مِنَ الرَّكْعَتَيْنِ رَفَعَ يَدَيْهِ. وَرَفَعَ ذَلِكَ ابْنُ عُمَرَ إِلَى نَبِيِّ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم. رَوَاهُ حَمَّادُ بْنُ سَلَمَةَ عَنْ أَيُّوبَ عَنْ نَافِعٍ عَنِ ابْنِ عُمَرَ عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم. وَرَوَاهُ ابْنُ طَهْمَانَ عَنْ أَيُّوبَ وَمُوسَى بْنِ عُقْبَةَ مُخْتَصَرًا.
۞"रिवायत है नाफअ रजि. से तहक़ीक़ इब्ने उमर रजि. जब दाखिल होते थे नमाज में तकबीर (अल्लाहु अकबर) कहते थे और उठातें दोनों हाथ अपने और जब रूकू करते उठाते दोनों हाथ अपने और जब कहते 'समियल्लाहु लिमन हमिदह', उठाते दोनों हाथ अपने, और जब उठते दो रक्अतों से उठाते दोनों हाथ अपने, और मरफुह किया इस (काम) को इब्ने उमर रजि. ने रसूलुल्लाह (ﷺ) तक (यानि रिवायत किया) कि हुजूर (ﷺ) ने इसी तरह किया।"
✨Reference
: Sahih al-Bukhari 739
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حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ يَحْيَى، أَخْبَرَنَا خَالِدُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ، عَنْ خَالِدٍ، عَنْ أَبِي قِلاَبَةَ، أَنَّهُ رَأَى مَالِكَ بْنَ الْحُوَيْرِثِ إِذَا صَلَّى كَبَّرَ ثُمَّ رَفَعَ يَدَيْهِ وَإِذَا أَرَادَ أَنْ يَرْكَعَ رَفَعَ يَدَيْهِ وَإِذَا رَفَعَ رَأْسَهُ مِنَ الرُّكُوعِ رَفَعَ يَدَيْهِ وَحَدَّثَ أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم كَانَ يَفْعَلُ هَكَذَا ."
۞"अबु कलाबा से रिवायत है की उन्होंने मालिक बिन हुवैरस को देखा की उन्होंने नमाज पढ़ी तो तकबीर पढ़ी, फिर दोनों हाथ उठाएं, फिर रकू का इरादा किया तो दोनों हाथ उठाए। फिर जब रूकू से सर उठाया तो दोनों हाथ उठाए और बयान किया की रसूलुल्लाह (ﷺ) ऐसा ही करते थे ।"
✨Reference
: Sahih Muslim 861 (390 A)
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حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ يَحْيَى التَّمِيمِيُّ، وَسَعِيدُ بْنُ مَنْصُورٍ، وَأَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ وَعَمْرٌو النَّاقِدُ وَزُهَيْرُ بْنُ حَرْبٍ وَابْنُ نُمَيْرٍ كُلُّهُمْ عَنْ سُفْيَانَ بْنِ عُيَيْنَةَ، - وَاللَّفْظُ لِيَحْيَى قَالَ أَخْبَرَنَا سُفْيَانُ بْنُ عُيَيْنَةَ، - عَنِ الزُّهْرِيِّ، عَنْ سَالِمٍ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم إِذَا افْتَتَحَ الصَّلاَةَ رَفَعَ يَدَيْهِ حَتَّى يُحَاذِيَ مَنْكِبَيْهِ وَقَبْلَ أَنْ يَرْكَعَ وَإِذَا رَفَعَ مِنَ الرُّكُوعِ وَلاَ يَرْفَعُهُمَا بَيْنَ السَّجْدَتَيْنِ .
۞"हजरत सालिम से और वह अपने बाप से रिवायत करते है कि कहा उन्होंने, मैने रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा, जब आप नमाज शुरू करते तो दोनों हाथ कंधों तक उठाते , इसी तरह रूकू से पहले और रूकू से सर उठाते वक़्त दोनों हाथो को उठाते और सज्दो के बीच में न करते"
✨Reference
: Sahih Muslim 862 (390 B)
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حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، وَابْنُ أَبِي عُمَرَ، قَالاَ حَدَّثَنَا سُفْيَانُ بْنُ عُيَيْنَةَ، عَنِ الزُّهْرِيِّ، عَنْ سَالِمٍ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم إِذَا افْتَتَحَ الصَّلاَةَ يَرْفَعُ يَدَيْهِ حَتَّى يُحَاذِيَ مَنْكِبَيْهِ وَإِذَا رَكَعَ وَإِذَا رَفَعَ رَأْسَهُ مِنَ الرُّكُوعِ . وَزَادَ ابْنُ أَبِي عُمَرَ فِي حَدِيثِهِ وَكَانَ لاَ يَرْفَعُ بَيْنَ السَّجْدَتَيْنِ .
۞"हजरत सालिम रह. (ताबेईन) से रिवायत और वह अपने बाप (अब्दुल्लाह बिन उमर रजि.) से रिवायत करते है की कहा उन्होंने,'मैने रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा,जब आप नमाज शुरू करते तो दोनों हाथ कंधो तक उठाते,इसी तरह रूकू से पहले और रूकू से सर उठाते वक्त दोनों हाथो को उठाते और सज्दो के बीच में न करते'।"
✨Reference
: Jami` at-Tirmidhi 255
♻Note:- इमाम शाफ़ई और इमाम मालिक रह. भी सहीह रिवायत के मुताबिक रफयदैन के काइल व फ़ाइल (अमल पैरा) थे उनसे इस मसले पर कोई इख्तिलाफ और बहस रिवायत नहीं।इमाम तिर्मिज़ी रह. हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रजि. की रफयदैन वाली हदीस (255) नक़ल करने के बाद लिखते (256 में) है:-
وَبِهَذَا يَقُولُ بَعْضُ أَهْلِ الْعِلْمِ مِنْ أَصْحَابِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم مِنْهُمُ ابْنُ عُمَرَ وَجَابِرُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ وَأَبُو هُرَيْرَةَ وَأَنَسٌ وَابْنُ عَبَّاسٍ وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ الزُّبَيْرِ وَغَيْرُهُمْ وَمِنَ التَّابِعِينَ الْحَسَنُ الْبَصْرِيُّ وَعَطَاءٌ وَطَاوُسٌ وَمُجَاهِدٌ وَنَافِعٌ وَسَالِمُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ وَسَعِيدُ بْنُ جُبَيْرٍ وَغَيْرُهُمْ . وَبِهِ يَقُولُ مَالِكٌ وَمَعْمَرٌ وَالأَوْزَاعِيُّ وَابْنُ عُيَيْنَةَ وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ الْمُبَارَكِ وَالشَّافِعِيُّ وَأَحْمَدُ وَإِسْحَاقُ"
۞"यही बात सहाबा किराम से अहले इल्म कहते है।इनमे से इब्ने उमर,जाबिर बिन अब्दुल्लाह,अबु हुरैरह,अनस,इब्ने अब्बास,अब्दुल्लाह बिन जुबैर वगैरह और ताबेईन में से हसन बसरी,अता ताऊस,मुजाहिद,नाफेअ,सालिम और सालिम और सईद बिन जुबैर वगैरह और यही बात इमाम मालिक,इमाम मुअमर,इमाम औजाई,इब्ने उऐना,इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक ,इमाम शाफिई,इमाम अहमद और इमाम इस्हाक़ बिन राहवैह (रह.) कहते है।"
✨Reference
: Jami` at-Tirmidhi 256
♻Note:- इमाम तिर्मिज़ी की इस सराहत से मालुम हुआ की {1}:- इमाम मालिक,इमाम शाफ़ई और इमाम अहमद बिन हंबल (रह.) वगैरह भी रफ़ेयदैन के काइल थे। लिहाजा यह कहना की इमाम शाफिई और इमाम मालिक (रह.) के बीच इस मसले पर मतभेद था जो खत्म नहीं हुआ,सरासर गलत और बेबुनियाद है,जिसमे कोई सच्चाई नही।
दूसरी बात यह मालुम हुई के {2}:- ताबेईन भी रफयदैन करते थे अत: यह साबित हो गया की रफयदैन मंसूख नहीं हुआ लिहाजा रफयदैन सुन्नते नबवी (ﷺ) है और शुरू से लेकर आजतक किताब व सुन्नत के मानने वालों का इस पर अमल है।
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✅ हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी रहिम. का फ़तवा
۞"हजरत पीर जिलानी रहीम. फ़र्माते है की तकबीर उला के वक़्त और रूकू में जाते वक़्त और रूकू से उठते वक़्त रफअ यदैन करना चाहिए।"
✨ गुनयतुल तालिबीन
✅ हजरत शाह वली उल्लाह साहब रह. फ़र्माते है की "जब रूकू करने का इरादा करे तो रफअयदैन करे और जब रूकू से सर उठाए,उस वक़्त भी रफअयदेन करे। मै रफअ यदेन करने वालो को न करने वालो से अच्छा समझता हु क्योंकि रफअयदेन करने की हदीसें बहुत ज्यादा है और बहुत सही है।"
✨ हुज्जतुल्लाहिलबालगा भाग-2
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♻र-फउल यदेन न करने वालों से चन्द सवालात
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〰रफयदैन करने की जितनी हदीसें हैं सब सहीह और न करने की जो चन्द रवायात हैं वह सब ज़ईफ़, सब पर मुहददिसीन का कलाम है. अब कोई झूट बोलने के लिए यह कह देते हैं कि वह बगल के नीचे बुत रखते थे इसलिए रफयदैन शुरू हुई. अरे भाई! नमाज़ जमात से फ़र्ज हो रही है मदीना में और बुतों वाली पार्टी मक्का में रह गई है. जहां जमात से नमाज़ फ़र्ज हुई वहां बुतो वाली पार्टी कोई नहीं है. जहां बुतों वाली पार्टी है वहां जमात से नमाज़ फ़र्ज नहीं
है?
〰 अगर मान भी लिया जाय कि वह बगलों में बुत रखते थे जब पहली दफ़ा रफयदैन करते हो. हम तो कैसे करते है जो कि सुन्नत है और सहीह बुखारी की हदीस है कि आप कन्धों के बराबर हाथ उठाते और जो भाई रफयदैन के इंकारी हैं वह कहां तक हाथ उठाते हैं(कानों की लो तक) ठीक है. तो जब यह पहली दफ़ा हाथ उठाए तो वह बुत साफ़ नीचे गिरे या नहीं ? वह कोई ‘एल्फ़ी’ (चिपकाने वाली चीज़) तो लगाकर तो नमाज़ को तो आते नहीं थे कि वह बुत चिपक जाते हों और नीचे न गिरते हों. तो जब पहली दफ़ा रफयदैन करते हो वह क्यों करते हो बुत तो खतम हो गये !
〰 वह बड़े बेवकूफ़ थे जो बगलों में बुत लाते थे. जेब में डाल कर क्यों नहीं लाते थे? उन्हें इतनी अक्ल नहीं थी कि जेब में डाल
लायें ?
〰 बुत लाते कौन थे? नउज़ो बिल्लाह यह तो नहीं कहा जा सकता कि सहाबा किराम बुत लाते थे, नहीं कहा जा सकता न. ठीक है मुनाफिक़ लाते थे, अरे भाई मुनाफिक़ होता वही है जो जाहिरी आपका, बातिनी आपका दुश्मन जो अन्दर से आपका दुश्मन हो वह क्या चाहेगा कि मेरी हकीक़त खुल जाए ? और जब मुनाफिकीन के बुत गिरते थे तो हज़रत उमर रजिअल्लाहु अन्हु की तलवार कहां थी? वह तो चाहते यही थे किसी को पता न लगे. अल्लाह तआला ‘वहीय’ करके बताता था कि यह मुनाफिक़ हैं. इसलिए यह मौलवियों की बनाई हुई ढकोसले वाली बात है !
〰 रफयदैन न करने की किस रवायत को आप पेश करते हैं, किस रवायत को आप मन्सूख तस्लीम करते हैं, वह रवायत पेश करें ?
〰 किस सन हिजरी में रफयदैन मन्सूख हुई वह सन भी बयान फ़रमादें?
〰 किस नमाज़ में रफयदैन मन्सूख हुई, वह नमाज़ भी बतादें कि वह नमाज़ फ़ज्र की थी, जुहर की थी कि अस्र की थी, मग़रिब की थी या ईशा की थी?
〰 रफयदैन मक्का में मन्सूख हुई है या मदीना में मन्सूख हुई है ? फिर अल्लाह तआला ने इसे कहा है कि मन्सूख हुई है या रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कहा है कि रफयदैन मन्सूख है ?
〰 ईदैन की जो तकबीरात की रफयदैन है और इसकी दलील भी रफयदैन मंसूख बताने
न करने वालो को पेश करनी है, मगर इन्होंने जो दावा करते हैं उस दावे के मुताबिक़ वित्र वाली रफयदैन भी मन्सूख है और तकबीरात ईदेन जो रफयदैन है वह भी मन्सूख है और फिर यह मुक़ल्लिद हैं उनको चाहिये था कि अपना दावा-ए-नसख़ को इमाम अबू हनीफ़ा (रहमतुल्लाह अलैहि) से साबित करें कि इमाम अबू हनीफ़ा (रहमतुल्लाह अलैहि) ने कहा हे कि र-फउल यदेन मन्सूख है या उनके शागिर्दों से मन्सूख साबित करें ?
जो ज़ईफ़ है वह क़वी को नसख़ कर सकता है ! नहीं.
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♻कुरआन किसके साथ है ? हदीस किसके साथ है ? सलफ़ किसके साथ हैं ? रफयदैन मन्सूख होती तो इमाम अहमद बिन हंबल (रहिमल्लाहु अलैहि) मन्सूख कहते, इमाम मालिक (रहिमल्लाहु अलैहि) मन्सूख कहते. मन्सूख होती तो इमाम बुखारी (रहिमल्लाहु अलैहि) मन्सूख कहते, अबू दाउद (रहिमल्लाहु अलैहि) मन्सूख कहते, इमाम निसाई (रहिमल्लाहु अलैहि) मन्सूख कहते. पता चला कि रफयदैन मन्सूख नहीं है!
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وَاللَّهُ أَعْلَمُ ।
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♻हम रफयदैन से महरूम भाई बहनो की सेवा में बड़ी मुहब्बत और नेक नियत से अर्ज करते है की वे प्यारे नबी (ﷺ) की इस प्यारी सुन्नत को जरूर अपना ले और अमल में लाअ और किसी के कहने सुनने से इस नेहमत से महरूम न रहें।
अल्लाह तआला हम सभी को रसूलुल्लाह (ﷺ) की सुन्नतों पर अमल करने की सद्बुद्धि देवे ।
✨✨✨✨✨ आमीन ✨✨✨✨✨
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Urdu hadith Scan
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✅ हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी रहिम. का फ़तवा
۞"हजरत पीर जिलानी रहीम. फ़र्माते है की तकबीर उला के वक़्त और रूकू में जाते वक़्त और रूकू से उठते वक़्त रफअ यदैन करना चाहिए।"
✨ गुनयतुल तालिबीन
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