Monday 18 January 2016

इमाम तिर्मिज़ी रह.का रफयदैन पर तब्सिरा

✨Topic 
इमाम तिर्मिज़ी रह.का रफयदैन पर तब्सिरा
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حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، وَابْنُ أَبِي عُمَرَ، قَالاَ حَدَّثَنَا سُفْيَانُ بْنُ عُيَيْنَةَ، عَنِ الزُّهْرِيِّ، عَنْ سَالِمٍ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم إِذَا افْتَتَحَ الصَّلاَةَ يَرْفَعُ يَدَيْهِ حَتَّى يُحَاذِيَ مَنْكِبَيْهِ وَإِذَا رَكَعَ وَإِذَا رَفَعَ رَأْسَهُ مِنَ الرُّكُوعِ ‏.‏ وَزَادَ ابْنُ أَبِي عُمَرَ فِي حَدِيثِهِ وَكَانَ لاَ يَرْفَعُ بَيْنَ السَّجْدَتَيْنِ ‏.‏
۞"हजरत सालिम रह. (ताबेईन) से रिवायत और वह अपने बाप (अब्दुल्लाह बिन उमर रजि.) से रिवायत करते है की कहा उन्होंने,'मैने रसूलुल्लाह  ﷺ को देखा,जब आप नमाज शुरू करते तो दोनों हाथ कंधो तक उठाते,इसी तरह रूकू से पहले और रूकू से सर उठाते वक्त दोनों हाथो को उठाते और सज्दो के बीच में न करते'।"
📚Reference : Jami` at-Tirmidhi 255
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♻Note 
इमाम शाफ़ई और इमाम मालिक रह. भी सहीह रिवायत के मुताबिक रफयदैन के काइल व फ़ाइल (अमल पैरा) थे उनसे इस मसले पर कोई इख्तिलाफ और बहस रिवायत नहीं।इमाम तिर्मिज़ी रह. हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रजि. की रफयदैन वाली हदीस (255) नक़ल करने के बाद लिखते (256 में) है:
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وَبِهَذَا يَقُولُ بَعْضُ أَهْلِ الْعِلْمِ مِنْ أَصْحَابِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم مِنْهُمُ ابْنُ عُمَرَ وَجَابِرُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ وَأَبُو هُرَيْرَةَ وَأَنَسٌ وَابْنُ عَبَّاسٍ وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ الزُّبَيْرِ وَغَيْرُهُمْ وَمِنَ التَّابِعِينَ الْحَسَنُ الْبَصْرِيُّ وَعَطَاءٌ وَطَاوُسٌ وَمُجَاهِدٌ وَنَافِعٌ وَسَالِمُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ وَسَعِيدُ بْنُ جُبَيْرٍ وَغَيْرُهُمْ ‏.‏ وَبِهِ يَقُولُ مَالِكٌ وَمَعْمَرٌ وَالأَوْزَاعِيُّ وَابْنُ عُيَيْنَةَ وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ الْمُبَارَكِ وَالشَّافِعِيُّ وَأَحْمَدُ وَإِسْحَاقُ ‏.‏
۞"यही बात सहाबा किराम से अहले इल्म कहते है।इनमे से इब्ने उमर,जाबिर बिन अब्दुल्लाह,अबु हुरैरह,अनस,इब्ने अब्बास,अब्दुल्लाह बिन जुबैर वगैरह और ताबेईन में से हसन बसरी,अता ताऊस,मुजाहिद,नाफेअ,सालिम बिन अब्दुल्लाह और सईद बिन जुबैर वगैरह और यही बात अईमा किराम में से इमाम मालिक,इमाम मुअमर,इमाम औजाई,इब्ने उऐना,इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक ,इमाम शाफिई,इमाम अहमद और इमाम इस्हाक़ बिन राहवैह (रह.) कहते है,इन सब का यही कौल है (यानी रफयदैन करने की ताईद)।

♻इसके आगे इमाम तिर्मिज़ी रह. ने इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह. का कौल नक़ल किया है
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وَقَالَ عَبْدُ اللَّهِ بْنُ الْمُبَارَكِ قَدْ ثَبَتَ حَدِيثُ مَنْ يَرْفَعُ يَدَيْهِ وَذَكَرَ حَدِيثَ الزُّهْرِيِّ عَنْ سَالِمٍ عَنْ أَبِيهِ وَلَمْ يَثْبُتْ حَدِيثُ ابْنِ مَسْعُودٍ أَنَّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم لَمْ يَرْفَعْ يَدَيْهِ إِلاَّ فِي أَوَّلِ مَرَّةٍ ‏.‏ حَدَّثَنَا بِذَلِكَ أَحْمَدُ بْنُ عَبْدَةَ الآمُلِيُّ حَدَّثَنَا وَهْبُ بْنُ زَمْعَةَ عَنْ سُفْيَانَ بْنِ عَبْدِ الْمَلِكِ عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ الْمُبَارَكِ ‏.‏
۞अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह. कहते है नमाज में हाथ उठाने (रफयदैन) के लिए जो हदीस आई है वह साबित है जिसे जुहेरि रह. ने सालिम रह. के वालिद से रिवायत किया और इब्ने मसऊद रजि. की यह हदीस साबित नहीं है के नबी करीम ﷺ ने सिर्फ पहली मर्तबा रफ़ेयदेन किया था (यानी वह हदीस साबित नहीं है जिसमे नबी ﷺ के सिर्फ तकबीरे तहरिमा के वक़्त हाथ उठाने का जिक्र है)।
📚Reference : Jami` at-Tirmidhi 256

♻Note
इमाम तिर्मिज़ी की इस सराहत से मालुम हुआ की 
☑इमाम मालिक,इमाम शाफ़ई और इमाम अहमद बिन हंबल (रह.) वगैरह भी रफयदैन के काइल थे। लिहाजा यह कहना की इमाम शाफिई और इमाम मालिक (रह.) के बीच इस मसले पर मतभेद था जो खत्म नहीं हुआ,सरासर गलत और बेबुनियाद है,जिसमे कोई सच्चाई नही।
दूसरी बात यह मालुम हुई के 
☑ताबेईन और तबे-ताबेईन भी रफयदैन करते थे।
☑इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह. के कौल के मुताबिक़ इब्ने मसऊद रजि. की वह हदीस जईफ है जिसमे सिर्फ तकबीरे तहरिमा के वक़्त हाथ उठाने का जिक्र है।

✅अत: यह साबित हो गया की रफ़यदैन मंसूख नहीं हुआ लिहाजा रफयदैन सुन्नते नबवी (ﷺ) है और शुरू से लेकर आजतक किताब व सुन्नत के मानने वालों का इस पर अमल है।
🌹अल्हम्दुलिल्लाह
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Thursday 14 January 2016

रफयदैन रसूले खुदा की सुन्नत है



✨Topic
हर मूसलमान रफयदैन के साथ नमाज पढ़े
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حَدَّثَنَا عَيَّاشٌ، قَالَ حَدَّثَنَا عَبْدُ الأَعْلَى، قَالَ حَدَّثَنَا عُبَيْدُ اللَّهِ، عَنْ نَافِعٍ، أَنَّ ابْنَ عُمَرَ، كَانَ إِذَا دَخَلَ فِي الصَّلاَةِ كَبَّرَ وَرَفَعَ يَدَيْهِ، وَإِذَا رَكَعَ رَفَعَ يَدَيْهِ، وَإِذَا قَالَ سَمِعَ اللَّهُ لِمَنْ حَمِدَهُ‏.‏ رَفَعَ يَدَيْهِ، وَإِذَا قَامَ مِنَ الرَّكْعَتَيْنِ رَفَعَ يَدَيْهِ‏.‏ وَرَفَعَ ذَلِكَ ابْنُ عُمَرَ إِلَى نَبِيِّ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم‏.‏ رَوَاهُ حَمَّادُ بْنُ سَلَمَةَ عَنْ أَيُّوبَ عَنْ نَافِعٍ عَنِ ابْنِ عُمَرَ عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم‏.‏ وَرَوَاهُ ابْنُ طَهْمَانَ عَنْ أَيُّوبَ وَمُوسَى بْنِ عُقْبَةَ مُخْتَصَرًا‏.‏
۞"रिवायत है नाफअ रजि. से तहक़ीक़ इब्ने उमर रजि.  जब दाखिल होते थे नमाज में तकबीर (अल्लाहु अकबर) कहते थे और उठातें दोनों हाथ अपने और जब रूकू करते उठाते दोनों हाथ अपने और जब कहते 'समियल्लाहु लिमन हमिदह', उठाते दोनों हाथ अपने, और जब उठते दो रक्अतों से उठाते दोनों हाथ अपने, और मरफुह किया इस (काम) को इब्ने उमर रजि. ने रसूलुल्लाह  (ﷺ) तक (यानि रिवायत किया) कि हुजूर (ﷺ) ने इसी तरह किया।"
✨Reference : Sahih al-Bukhari 739
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حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ يَحْيَى، أَخْبَرَنَا خَالِدُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ، عَنْ خَالِدٍ، عَنْ أَبِي قِلاَبَةَ، أَنَّهُ رَأَى مَالِكَ بْنَ الْحُوَيْرِثِ إِذَا صَلَّى كَبَّرَ ثُمَّ رَفَعَ يَدَيْهِ وَإِذَا أَرَادَ أَنْ يَرْكَعَ رَفَعَ يَدَيْهِ وَإِذَا رَفَعَ رَأْسَهُ مِنَ الرُّكُوعِ رَفَعَ يَدَيْهِ وَحَدَّثَ أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم كَانَ يَفْعَلُ هَكَذَا ‏.‏"
۞"अबु कलाबा से रिवायत है की उन्होंने मालिक बिन हुवैरस को देखा की उन्होंने नमाज पढ़ी तो तकबीर पढ़ी, फिर दोनों हाथ उठाएं, फिर रकू का इरादा किया तो दोनों हाथ उठाए। फिर जब रूकू से सर उठाया तो दोनों हाथ उठाए और बयान किया की रसूलुल्लाह (ﷺ) ऐसा ही करते थे ।"
✨Reference : Sahih Muslim 861 (390 A)
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حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ يَحْيَى التَّمِيمِيُّ، وَسَعِيدُ بْنُ مَنْصُورٍ، وَأَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ وَعَمْرٌو النَّاقِدُ وَزُهَيْرُ بْنُ حَرْبٍ وَابْنُ نُمَيْرٍ كُلُّهُمْ عَنْ سُفْيَانَ بْنِ عُيَيْنَةَ، - وَاللَّفْظُ لِيَحْيَى قَالَ أَخْبَرَنَا سُفْيَانُ بْنُ عُيَيْنَةَ، - عَنِ الزُّهْرِيِّ، عَنْ سَالِمٍ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم إِذَا افْتَتَحَ الصَّلاَةَ رَفَعَ يَدَيْهِ حَتَّى يُحَاذِيَ مَنْكِبَيْهِ وَقَبْلَ أَنْ يَرْكَعَ وَإِذَا رَفَعَ مِنَ الرُّكُوعِ وَلاَ يَرْفَعُهُمَا بَيْنَ السَّجْدَتَيْنِ ‏.‏
۞"हजरत सालिम से और वह अपने बाप से रिवायत करते है कि कहा उन्होंने, मैने रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा, जब आप नमाज शुरू करते तो दोनों हाथ कंधों तक उठाते , इसी तरह रूकू से पहले और रूकू से सर उठाते वक़्त दोनों हाथो को उठाते और सज्दो के बीच में न करते"
✨Reference : Sahih Muslim 862 (390 B)
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حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، وَابْنُ أَبِي عُمَرَ، قَالاَ حَدَّثَنَا سُفْيَانُ بْنُ عُيَيْنَةَ، عَنِ الزُّهْرِيِّ، عَنْ سَالِمٍ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم إِذَا افْتَتَحَ الصَّلاَةَ يَرْفَعُ يَدَيْهِ حَتَّى يُحَاذِيَ مَنْكِبَيْهِ وَإِذَا رَكَعَ وَإِذَا رَفَعَ رَأْسَهُ مِنَ الرُّكُوعِ ‏.‏ وَزَادَ ابْنُ أَبِي عُمَرَ فِي حَدِيثِهِ وَكَانَ لاَ يَرْفَعُ بَيْنَ السَّجْدَتَيْنِ ‏.‏
۞"हजरत सालिम रह. (ताबेईन) से रिवायत और वह अपने बाप (अब्दुल्लाह बिन उमर रजि.) से रिवायत करते है की कहा उन्होंने,'मैने रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा,जब आप नमाज शुरू करते तो दोनों हाथ कंधो तक उठाते,इसी तरह रूकू से पहले और रूकू से सर उठाते वक्त दोनों हाथो को उठाते और सज्दो के बीच में न करते'।"
✨Reference : Jami` at-Tirmidhi 255

♻Note:- इमाम शाफ़ई और इमाम मालिक रह. भी सहीह रिवायत के मुताबिक रफयदैन के काइल व फ़ाइल (अमल पैरा) थे उनसे इस मसले पर कोई इख्तिलाफ और बहस रिवायत नहीं।इमाम तिर्मिज़ी रह. हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रजि. की रफयदैन वाली हदीस (255) नक़ल करने के बाद लिखते (256 में) है:-


وَبِهَذَا يَقُولُ بَعْضُ أَهْلِ الْعِلْمِ مِنْ أَصْحَابِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم مِنْهُمُ ابْنُ عُمَرَ وَجَابِرُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ وَأَبُو هُرَيْرَةَ وَأَنَسٌ وَابْنُ عَبَّاسٍ وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ الزُّبَيْرِ وَغَيْرُهُمْ وَمِنَ التَّابِعِينَ الْحَسَنُ الْبَصْرِيُّ وَعَطَاءٌ وَطَاوُسٌ وَمُجَاهِدٌ وَنَافِعٌ وَسَالِمُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ وَسَعِيدُ بْنُ جُبَيْرٍ وَغَيْرُهُمْ ‏.‏ وَبِهِ يَقُولُ مَالِكٌ وَمَعْمَرٌ وَالأَوْزَاعِيُّ وَابْنُ عُيَيْنَةَ وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ الْمُبَارَكِ وَالشَّافِعِيُّ وَأَحْمَدُ وَإِسْحَاقُ" ‏
۞"यही बात सहाबा किराम से अहले इल्म कहते है।इनमे से इब्ने उमर,जाबिर बिन अब्दुल्लाह,अबु हुरैरह,अनस,इब्ने अब्बास,अब्दुल्लाह बिन जुबैर वगैरह और ताबेईन में से हसन बसरी,अता ताऊस,मुजाहिद,नाफेअ,सालिम और सालिम और सईद बिन जुबैर वगैरह और यही बात इमाम मालिक,इमाम मुअमर,इमाम औजाई,इब्ने उऐना,इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक ,इमाम शाफिई,इमाम अहमद और इमाम इस्हाक़ बिन राहवैह (रह.) कहते है।"
✨Reference : Jami` at-Tirmidhi 256

♻Note:- इमाम तिर्मिज़ी की इस सराहत से मालुम हुआ की {1}:- इमाम मालिक,इमाम शाफ़ई और इमाम अहमद बिन हंबल (रह.) वगैरह भी रफ़ेयदैन के काइल थे। लिहाजा यह कहना की इमाम शाफिई और इमाम मालिक (रह.) के बीच इस मसले पर मतभेद था जो खत्म नहीं हुआ,सरासर गलत और बेबुनियाद है,जिसमे कोई सच्चाई नही।
दूसरी बात यह मालुम हुई के {2}:- ताबेईन भी रफयदैन करते थे अत: यह साबित हो गया की रफयदैन मंसूख नहीं हुआ लिहाजा रफयदैन सुन्नते नबवी (ﷺ) है और शुरू से लेकर आजतक किताब व सुन्नत के मानने वालों का इस पर अमल है।
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✅ हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी रहिम. का फ़तवा
۞"हजरत पीर जिलानी रहीम. फ़र्माते है की तकबीर उला के वक़्त और रूकू में जाते वक़्त और रूकू से उठते वक़्त रफअ यदैन करना चाहिए।"
✨ गुनयतुल तालिबीन

✅ हजरत शाह वली उल्लाह साहब रह. फ़र्माते है की "जब रूकू करने का इरादा करे तो रफअयदैन करे और जब रूकू से सर उठाए,उस वक़्त भी रफअयदेन करे। मै रफअ यदेन करने वालो को न करने वालो से अच्छा समझता हु क्योंकि रफअयदेन करने की हदीसें बहुत ज्यादा है और बहुत सही है।"
✨ हुज्जतुल्लाहिलबालगा भाग-2
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♻र-फउल यदेन न करने वालों से चन्‍द सवालात
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〰रफयदैन करने की जितनी हदीसें हैं सब सहीह और न करने की जो चन्‍द रवायात हैं वह सब ज़ईफ़, सब पर मुहददिसीन का कलाम है. अब कोई झूट बोलने के लिए यह कह देते हैं कि वह बगल के नीचे बुत रखते थे इसलिए रफयदैन शुरू हुई. अरे भाई! नमाज़ जमात से फ़र्ज हो रही है मदीना में और बुतों वाली पार्टी मक्‍का में रह गई है. जहां जमात से नमाज़ फ़र्ज हुई वहां बुतो वाली पार्टी कोई नहीं है. जहां बुतों वाली पार्टी है वहां जमात से नमाज़ फ़र्ज नहीं
है?

〰 अगर मान भी लिया जाय कि वह बगलों में बुत रखते थे जब पहली दफ़ा रफयदैन करते हो. हम तो  कैसे करते है जो कि सुन्‍नत है और सहीह बुखारी की हदीस है कि आप कन्‍धों के बराबर हाथ उठाते और जो भाई रफयदैन के इंकारी हैं वह कहां तक हाथ उठाते हैं(कानों की लो तक) ठीक है. तो जब यह पहली दफ़ा हाथ उठाए तो वह बुत साफ़ नीचे गिरे या नहीं ? वह कोई ‘एल्‍फ़ी’ (चिपकाने वाली चीज़) तो लगाकर तो नमाज़ को तो आते नहीं थे कि वह बुत चिपक जाते हों और नीचे न गिरते हों. तो जब पहली दफ़ा रफयदैन करते हो वह क्‍यों करते हो बुत तो खतम हो गये !

〰 वह बड़े बेवकूफ़ थे जो बगलों में बुत लाते थे. जेब में डाल कर क्‍यों नहीं लाते थे?  उन्‍हें इतनी अक्ल नहीं थी कि जेब में डाल
लायें ?

〰 बुत लाते कौन थे? नउज़ो बिल्‍लाह यह तो नहीं कहा जा सकता कि सहाबा किराम बुत लाते थे, नहीं कहा जा सकता न. ठीक है मुनाफिक़ लाते थे, अरे भाई मुनाफिक़ होता वही है जो जाहिरी आपका, बातिनी आपका दुश्‍मन जो अन्‍दर से आपका दुश्‍मन हो वह क्‍या चाहेगा कि मेरी हकीक़त खुल जाए  ? और जब मुनाफिकीन के बुत गिरते थे तो हज़रत उमर रजिअल्‍लाहु अन्‍हु की तलवार कहां थी? वह तो चाहते यही थे किसी को पता न लगे. अल्‍लाह तआला ‘वहीय’ करके बताता था कि यह मुनाफिक़ हैं. इसलिए यह मौलवियों की बनाई हुई ढकोसले वाली बात है !

〰 रफयदैन न करने की किस रवायत को आप पेश करते हैं, किस रवायत को आप मन्‍सूख तस्‍लीम करते हैं, वह रवायत पेश करें ?

〰 किस सन हिजरी में रफयदैन मन्‍सूख हुई वह सन भी बयान फ़रमादें?

〰 किस नमाज़ में रफयदैन मन्‍सूख हुई, वह नमाज़ भी बतादें कि वह नमाज़ फ़ज्र की थी, जुहर की थी कि अस्र की थी, मग़रिब की थी या ईशा की थी?


〰 रफयदैन मक्‍का में मन्‍सूख हुई है या मदीना में मन्‍सूख हुई है ?  फिर अल्‍लाह तआला ने इसे कहा है कि मन्‍सूख हुई है या रसूलुल्‍लाह (ﷺ) ने कहा है कि रफयदैन मन्‍सूख है ?

〰 ईदैन की जो तकबीरात की रफयदैन है और इसकी दलील भी रफयदैन मंसूख बताने
 न करने वालो को पेश करनी है, मगर इन्‍होंने जो दावा करते हैं उस दावे के मुताबिक़ वित्र वाली रफयदैन भी मन्‍सूख है और तकबीरात ईदेन जो रफयदैन है वह भी मन्‍सूख है और फिर यह मुक़ल्लिद हैं उनको चाहिये था कि अपना दावा-ए-नसख़ को इमाम अबू हनीफ़ा (रहमतुल्‍लाह अलैहि) से साबित करें कि इमाम अबू हनीफ़ा (रहमतुल्‍लाह अलैहि) ने कहा  हे कि र-फउल यदेन मन्‍सूख है या उनके शागिर्दों से मन्‍सूख साबित करें ?
जो ज़ईफ़ है वह क़वी को नसख़ कर सकता है ! नहीं.
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♻कुरआन किसके साथ है ? हदीस किसके साथ है ? सलफ़ किसके साथ हैं ? रफयदैन मन्‍सूख होती तो इमाम अहमद बिन हंबल (रहिमल्‍लाहु अलैहि) मन्‍सूख कहते, इमाम मालिक (रहिमल्‍लाहु अलैहि) मन्‍सूख कहते. मन्‍सूख होती तो इमाम बुखारी (रहिमल्‍लाहु अलैहि) मन्‍सूख कहते, अबू दाउद (रहिमल्‍लाहु अलैहि) मन्‍सूख कहते, इमाम निसाई (रहिमल्‍लाहु अलैहि) मन्‍सूख कहते. पता चला कि रफयदैन मन्‍सूख नहीं है!
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♻हम रफयदैन से महरूम भाई बहनो की सेवा में बड़ी मुहब्बत और नेक नियत से अर्ज करते है की वे प्यारे नबी (ﷺ) की इस प्यारी सुन्नत को जरूर अपना ले और अमल में लाअ और किसी के कहने सुनने से इस नेहमत से महरूम न रहें।
अल्लाह तआला हम सभी को रसूलुल्लाह (ﷺ) की सुन्नतों पर अमल करने की सद्बुद्धि देवे ।
✨✨✨✨✨ आमीन ✨✨✨✨✨
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Urdu hadith Scan
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✅ हजरत  शेख अब्दुल कादिर जिलानी रहिम. का फ़तवा 
۞"हजरत पीर जिलानी रहीम. फ़र्माते है की तकबीर उला के वक़्त और रूकू में जाते वक़्त और रूकू से उठते वक़्त रफअ यदैन करना चाहिए।"
✨ गुनयतुल  तालिबीन
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Wednesday 13 January 2016

सफबन्दी जरुरी !

.          🌐निदा-ए-हक🌐
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♻🍃🍂दर्से-हदीस🍂🍃♻
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Topic :- सफबन्दी जरुरी !
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📎"Narrated Anas bin Malik:
The Prophet (ﷺ) said, ' Make your rows straight, for straightening the rows is part of completing the prayer.’”
Reference : Sahih al-Bukhari 723

حَدَّثَنَا أَبُو الْوَلِيدِ، قَالَ حَدَّثَنَا شُعْبَةُ، عَنْ قَتَادَةَ، عَنْ أَنَسٍ، عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ ‏ "‏ سَوُّوا صُفُوفَكُمْ فَإِنَّ تَسْوِيَةَ الصُّفُوفِ مِنْ إِقَامَةِ الصَّلاَةِ ‏"‏‏.‏
المرجع: صحيح البخاري723

📎"हजरत अनस बिन मालिक से रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने फ़र्माया कि 'अपनी सफों को दुरूस्त करो बिलाशुब्हासफों की दुरुस्तगी इक़ामते-सलात में से है'।"
हवाला : सहीह बुखारी 723
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📎"Narrated Anas bin Malik:
The Prophet (ﷺ) said, "Straighten your rows for I see you from behind my back." Anas added, "Everyone of us used to put his shoulder with the shoulder of his companion and his foot with the foot of his companion."
Reference : Sahih al-Bukhari 725
In-book reference : : Book 10(Call to Prayers), Hadith 119

حَدَّثَنَا عَمْرُو بْنُ خَالِدٍ، قَالَ حَدَّثَنَا زُهَيْرٌ، عَنْ حُمَيْدٍ، عَنْ أَنَسٍ، عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ ‏ "‏ أَقِيمُوا صُفُوفَكُمْ فَإِنِّي أَرَاكُمْ مِنْ وَرَاءِ ظَهْرِي ‏"‏‏.‏ وَكَانَ أَحَدُنَا يُلْزِقُ مَنْكِبَهُ بِمَنْكِبِ صَاحِبِهِ وَقَدَمَهُ بِقَدَمِهِ‏.‏"
المرجع: صحيح البخاري 725
في كتاب مرجعي: (كتاب الأذان)10,
الحديث:119

📎"हजरत अनस रजि. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैही व सल्लम ने फ़र्माया- 'सफ़ो को सीधा किया करो क्योंकि मै तुमको पीठ के पीछे भी देख लेता हु (यानी यह आपका मोअजिजा था)।
हजरत अनस रजि. कहते है की हम में से हर आदमी अपना कन्धा दूसरे कंधे से और अपना कदम दूसरे के कदम से सफ़ो में मिला देता था।"
हवाला : सहीह बुखारी 725
किताबी हवाला : किताब 10 (किताब अल अजान),हदीस 119
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📎"Al-Nu’man b. Bashir said:
the Messenger of Allah (ﷺ) paid attention to the people and said three times; straighten your rows (in prayer);
 you must straighten your rows, or allah will create crack in the hearts of all.I then saw that every person stood in prayer keeping his shoulder close to that of the other, and his knee close to that of the other, and his ankle close to that of the other."
Reference : Sunan Abi Dawud 662
Grade : Sahih (Albani)

حَدَّثَنَا عُثْمَانُ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، حَدَّثَنَا وَكِيعٌ، عَنْ زَكَرِيَّا بْنِ أَبِي زَائِدَةَ، عَنْ أَبِي الْقَاسِمِ الْجَدَلِيِّ، قَالَ سَمِعْتُ النُّعْمَانَ بْنَ بَشِيرٍ، يَقُولُ أَقْبَلَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم عَلَى النَّاسِ بِوَجْهِهِ فَقَالَ ‏"‏ أَقِيمُوا صُفُوفَكُمْ ‏"‏ ‏.‏ ثَلاَثًا ‏"‏ وَاللَّهِ لَتُقِيمُنَّ صُفُوفَكُمْ أَوْ لَيُخَالِفَنَّ اللَّهُ بَيْنَ قُلُوبِكُمْ ‏"‏ ‏.‏ قَالَ فَرَأَيْتُ الرَّجُلَ يُلْزِقُ مَنْكِبَهُ بِمَنْكِبِ صَاحِبِهِ وَرُكْبَتَهُ بِرُكْبَةِ صَاحِبِهِ وَكَعْبَهُ بِكَعْبِهِ ‏.‏
المرجع: سنن أبي داود 662
الصف: صحيح ( الألباني )

📎"नोमान बिन बशीर रजि. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने लोगो की तरफ मुह करके फरमाया -
'लोगो ! अपनी सफे सीधी करो। लोगो ! अपनी सफे ठीक करो। लोगो ! अपनी सफे बराबर करो।'
'सुनो अगर तुमने सफे सीधी न की तो अल्लाह तआला तुम्हारे दिलो में फूट डाल देगा।'
हदीस के रावी (रिवायत करने वाले) कहते की फिर तो यह हालत हो गयी कि (उन्होंने देखा) 'हर आदमी अपने साथी के टखने से टखना, घुटने से घुटना (यानि पिंडली से लेकर घुटने तक) और कंधे से कन्धा चिपका दिया करता था'।"
हवाला : अबु दाउद 662
श्रेणी : सहीह (अल्बानी)
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✅नोट :- मुसलमान भाइयो ! यह थी सहाबा की सफ बंदी जो रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने सब मुसलमानो पर जरुरी करार दी थी। लेकिन आज मसुलमान इस तरह दुरी से खड़े होते है कि एक दुसरे से छू गए तो नापाक हो जाएंगे। हमारे अंदर फ़ुट की एक वजह यह भी है कि हम सफ़ो को नहीं मिलाते , सीधी नहीं करते। भाइयो ! अच्छी तरह याद रखो की सफे मिलाया करो , सीधी रखा करो , दो आदमी मिलकर इस तरह से खड़े हुआ करो कि जेसे एक ही हों । पैर,टखनों,एड़िया,पिंडलियां और कंधे अच्छी तरह जोड़कर खड़े हुआ करो। जिस तरह सहाबा रजि. खड़े हुआ करते थे। जब आप रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम के फरमान के मुताबिक सफ़ो में खड़े हुआ करेंगे तो आप पर अल्लाह की अनगिनत रहमते नाजिल होगी और आपस में मुहब्बत,एकता और इत्तिफ़ाक पैदा होगा।इंशाअल्लाह।

आजकल की बेतरतीब सफ बंदी के बारे में अल्लामा इकबाल ने क्या अच्छा कहा है-
मुसलमानो में खूं बाकी नहीं है,
मुहब्बत का जुनूँ बाकी नहीं है।
सफे कज दिल परेशां सज्दा बेजौंक,
की जज्ब-ए-अन्दरुं बाकी नहीं है।।
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नमाज के वक़्तों का बयान

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☀नमाज के वक़्तों का बयान
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📎हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र रजि. रिवायत करते हुए कहते है की रसूलुल्लाह सलल्लाहो अल्लैही व सल्लम ने फरमाया जुहर का वक़्त है जब सूरज ढले और (रहता है उस वक़्त तक की) हो साया आदमी का उसके कद से बराबर जब तक न आये वक़्त अस्र का । और वक्त अस्र का है जब तक कि न हो सूरज जर्द । और वक़्त मगरिब का है जब तक की वो गायब हो शफक और वक्त ईशा का है ठीक आधी रात तक । और वक़्त नमाज सुबह का है सूरज निकलने से सूरज के निकलने तक।
📚सहीह मुस्लिम »किताब -अल-सलात

📎'Abdullah bin 'Amr reported:
The Messenger of Allah (may peace be upon him) said: The time of the noon prayer is when the sun passes the meridian and a man's shadow is the same (length) as his height, (and it lasts) as long as the time for the afternoon prayer has not come; the time for the afternoon prayer is as long as the sun has not become pale; the time of the evening prayer is as long as the twilight has not ended; the time of the night prayer is up to the middle of the average night and the time of the morning prayer is from the appearance of dawn, as long as the sun has not risen; but when the sun rises.
📚Sahih Muslim » Kitab Al-Salat
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अकेला आदमी अजान व इक़ामत कहे...

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Topic :-आदमी अकेला नमाज पढ़े तो वो अजान और इक़ामत कह सकता है ।
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📎"حَدَّثَنَا هَارُونُ بْنُ مَعْرُوفٍ، حَدَّثَنَا ابْنُ وَهْبٍ، عَنْ عَمْرِو بْنِ الْحَارِثِ، أَنَّ أَبَا عُشَّانَةَ الْمَعَافِرِيَّ، حَدَّثَهُ عَنْ عُقْبَةَ بْنِ عَامِرٍ، قَالَ سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم يَقُولُ ‏ "‏ يَعْجَبُ رَبُّكُمْ مِنْ رَاعِي غَنَمٍ فِي رَأْسِ شَظِيَّةٍ بِجَبَلٍ يُؤَذِّنُ بِالصَّلاَةِ وَيُصَلِّي فَيَقُولُ اللَّهُ عَزَّ وَجَلَّ انْظُرُوا إِلَى عَبْدِي هَذَا يُؤَذِّنُ وَيُقِيمُ الصَّلاَةَ يَخَافُ مِنِّي فَقَدْ غَفَرْتُ لِعَبْدِي وَأَدْخَلْتُهُ الْجَنَّةَ ‏"‏ ‏.‏
📚حكم    : ‏  صحيح   (الألباني)
المرجع: سنن أبي داود 1203


📎"Narrated Uqbah ibn Amir:
I heard the Messenger of Allah (ﷺ) say: Allah is pleased with a shepherd of goats who calls to prayer at the peak of a mountain, and offers prayer, Allah, the Exalted, says: Look at this servant of Mine; he calls to prayer and offers it and he fears Me. So I forgive him and admit him to paradise."
📚Grade : Sahih (Al-Albani)
Reference : Sunan Abi Dawud,1203

📎"हजरत उक्बाह बिन आमिर रजि. से रिवायत है क़ि रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने फ़र्माया :
तुम्हारा रब ऐसे चरवाहे से खुश होता है जो पहाड़ की चोटी पर अपना रेवड़ चराता है और नमाज के लिए अजान कहता है और नमाज अदा करता है तो अल्लाह तआला कहता है - 'मेरे इस बन्दे की तरफ देखा जो मुझसे डरते हुए नमाज के लिए अजान और इकामत कहता है। मैने अपने इस बन्दे को मुआफ़ कर दिया और मैने इसे जन्नत में दाखिल कर दिया'।"
📚श्रेणी : सहीह (अल्बानी)
हवाला : सुनन अबु दावुद, 1203
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✅नोट :- इस सहीह हदीस से मअलूम हुआ कि आदमी अकेला नमाज पढ़े तो वो अजान और इक़ामत कह सकता है।ये उसके लिए बख्शीश का जरिआ बनती है।
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रात और दिन की मोअक़्क़दह सुन्नतें 12 है

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✳Topic:- रात और दिन की मोअक़्क़दह सुन्नतें 12 है, सुन्नतो से जन्नत में घर
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📎"حَدَّثَنَا مَحْمُودُ بْنُ غَيْلاَنَ، حَدَّثَنَا مُؤَمَّلٌ، - هُوَ ابْنُ إِسْمَاعِيلَ حَدَّثَنَا سُفْيَانُ الثَّوْرِيُّ، عَنْ أَبِي إِسْحَاقَ، عَنِ الْمُسَيَّبِ بْنِ رَافِعٍ، عَنْ عَنْبَسَةَ بْنِ أَبِي سُفْيَانَ، عَنْ أُمِّ حَبِيبَةَ، قَالَتْ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ‏ "‏ مَنْ صَلَّى فِي يَوْمٍ وَلَيْلَةٍ ثِنْتَىْ عَشْرَةَ رَكْعَةً بُنِيَ لَهُ بَيْتٌ فِي الْجَنَّةِ أَرْبَعًا قَبْلَ الظُّهْرِ وَرَكْعَتَيْنِ بَعْدَهَا وَرَكْعَتَيْنِ بَعْدَ الْمَغْرِبِ وَرَكْعَتَيْنِ بَعْدَ الْعِشَاءِ وَرَكْعَتَيْنِ قَبْلَ صَلاَةِ الْفَجْرِ ‏"‏ ‏.‏ قَالَ أَبُو عِيسَى وَحَدِيثُ عَنْبَسَةَ عَنْ أُمِّ حَبِيبَةَ فِي هَذَا الْبَابِ حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ وَقَدْ رُوِيَ عَنْ عَنْبَسَةَ مِنْ غَيْرِ وَجْهٍ ‏.‏"
📚المرجع: الترمذي 415
في الكتاب المرجع: كتاب (2)، الحديث 268

📎Umm Habibah narrated that Allah's Messenger ( صلى الله عليه وسلم ) said:
"Whoever prays twelve Rak'ah in a day and night, a house will be built from him in Paradise: Four Rak'ah before Zuhr, two Rak'ah after it, two Rak'ah after Maghrib, two Rak'ah after Isha, and two Rak'ah before Fajr in the morning Salat."
📚Reference : Jami` at-Tirmidhi 415
In-book reference : Book 2, Hadith 268

📎"उम्मे हबीबा रजियल्लाहु अन्हा रिवायत करते हुए कहती है की रसूलुल्लाह सलल्लाहु अल्लैही व सल्लम ने फ़र्माया, 'जो कोई पढ़े रात और दिन में बारह (12) रकअत नमाज (सुन्नत) , बनाया जाता है जन्नत में उसके लिए घर :
चार रकअत जुहर के पहले और दो रकअत बाद में,
और दो रकअत मगरिब के बाद,
और दो रकअत ईशा के बाद ,
और दो रकअत फज्र की नमाज से पहले'।"
📚हवाला : तिर्मजी 415,'किताब 2,हदीस 268'
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