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दुआ इबादत है !
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✨कुरआन और हदीस की रौशनी में इस पोस्ट में आप पढ़ सकेंगे
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✅अम्बिया अल्लैहिस्सलाम और औलियाअल्लाह की दुआएँ!
✅पुकारना इबादत है।
✅गेरुल्लाह को पुकारना शिर्क है।
✅गेरुल्लाह को पुकारना कुफ़्र है।
✅गेरुल्लाह को मदद के लिए पुकारना अजाब का बाइस है।
✅गेरुल्लाह को पुकारना शैतान की इबादत है।
✅गेरुल्लाह का पुकारना बेसूद है।
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✅अल्लाह कुरआन में फरमाता हैं:-
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📎 "और वह लोग जिन्हें अल्लाह के सिवा (अपनी मदद को) पुकारते हो न तो वह तुम्हारी मदद की कुदरत रखते हैं और न ही अपनी मदद कर सकते हैं"
Al-A'raaf (7:197)
📎 "और अगर अल्लाह तुझे पहुचाए कोई नुक्सान तो उसके सिवा कोई उस को हटाने वाला नहीं है,और अगर वह तेरा भला चाहना चाहे तो तो कोई उसके फजल को रोकने वाला नही है,वह पहुचाता है उसको अपने बन्दों में से जिस को चाहता है,और वह बख्शने वाला,निहायत मेहरबान है"
Yunus (10:107)
📎 "और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम छिपाकर करते हो और जो कुछ ज़ाहिर करते हो" (19)
"और जिन्हें वे पुकारते हैं अल्लाह के सिवा,
वह कुछ भी पैदा नहीं करते बल्कि वे खुद पैदा किये हुए है" (20)
"मुर्दे है , जिन्दा नहीं (बेजान है) और व नहीं जानते वह कब उठाए जाएगें" (21)
An-Nahl (16:19,20,21)
📎 "तो (ऐ रसूल) आप अल्लाह पर भरोसा रखो बेशक तुम यक़ीनी सरीही हक़ पर हो"(79)
"बेशक न तो आप मुर्दों को (अपनी बात) सुना सकते हो और न बहरों को अपनी आवाज़ सुना सकते हो (ख़ासकर) जब वह पीठ फेर कर भाग ख़डें हो"(80)
An-Naml (27:79,80)
📎 "और बराबर नहीं ज़िन्दे और न मुर्दे ,और बेशक अल्लाह जिस को चाहता है सुना देता है और आप नहीं सुना सकते जो कब्रो में है"
Faatir (35:22)
📎 "और उस शख़्श से बढ़ कर कौन गुमराह हो सकता है जो अल्लाह के सिवा ऐसे शख़्श को पुकारे जो उसे क़यामत तक जवाब ही न दे और उनको उनके पुकारने की ख़बरें तक न हों"
Al-Ahqaf (46:5)
📎 "यदि अल्लाह तुम्हे कोई हानि पहुचाये ,तो उस के सिवा कोई नहीं जो उसे दुर कर दे, और यदि तुम्हे कोई लाभ पहुचाए ,तो वही जो चाहे कर सकता है"
Al-An'aam (6:17)
📎 "और वह अल्लाह के सिवा उस की इबादत (वंदना) करते है जो न तो उन्हें नुकसान (हानि) पहुँचा सकते है न लाभ (नफा)। और कहते हैं कि अल्लाह के यहाँ यही लोग हमारे सिफारिशी है, आप (सल्ल.) कह दे : तो क्या तुम अल्लाह को ऐसी बात की ख़बर दे रहे हो जिस के होने को वह न आसमानों में जानता और न ज़मीन में? वह पाक और बड़ा है उस शिर्क से जो ये कर रहे है"
Yunus (10:18)
📎 "क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह के लिए है आसमानो और जमींन की बादशाहत, और तुम्हारे लिए नहीं अल्लाह के सिवा कोई हामी न मददगार"
Al-Baqara (2:107)
📎 "(मुसलमानों याद रखो) अगर अल्लाह ने तुम्हारी मदद की तो फिर कोई तुमपर ग़ालिब नहीं आ सकता और अगर वह तुमको छोड़ दे तो फिर कौन ऐसा है जो उसके बाद तुम्हारी मदद को खड़ा हो और मोमिनीन को चाहिये कि अल्लाह ही पर भरोसा रखें"
Aal-i-Imraan (3:160)
📎 "आप (सल्ल.) कहे , ऐ अल्लाह ! तमाम आलम के मालिक तू ही जिसको चाहे सल्तनत दे और जिससे चाहे सल्तनत छीन ले और तू ही जिसको चाहे इज्ज़त दे और जिसे चाहे ज़िल्लत दे हर तरह की भलाई तेरे ही हाथ में है बेशक तू ही हर चीज़ पर क़ादिर है"
Aal-i-Imraan (3:26)
📎" ................. आप (सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम) कह दो कि अगर अल्लाह तुम लोगों को नुक़सान पहुँचाना चाहे या तुम्हें फायदा पहुँचाने का इरादा करे तो ख़ुदा के मुक़ाबले में तुम्हारे लिए किसका बस चल सकता है ?,बल्कि जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाक़िफ है
Al-Fath (48:11)
📎 "तुम्हारा माबूद तो बस वही अल्लाह है जिसके सिवा कोई और माबूद बरहक़ नहीं कि उसका इल्म हर चीज़ पर छा गया है"
Taa-Haa (20:98)
📎 "ऐ लोगों , एक मिसाल बयान की जाती है, तो उस को (कान खोलकर) सुनो,बेशक जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो वह लोग अगरचे सब के सब इस काम के लिए इकट्ठे भी हो जाएँ तो भी एक मक्खी तक पैदा नहीं कर सकते और कहीं मक्खी कुछ उनसे छीन ले जाए तो उससे उसको छुड़ा नहीं सकते (अजब लुत्फ है) कि माँगने वाला और जिससे माँग लिया दोनों कमज़ोर हैं"
Al-Hajj (22:73)
📎 "अक्सर लोग अल्लाह पर ईमान रखने के बावजूद शिर्क करते है"
Yusuf (12:106)
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गैरुल्लाह (अल्लाह तआला के अलावा किसी ओर) को पुकारने वाले से कुछ सवालात
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1⃣ अगर कोई शख्स मुसीबत में हो और वह चाहता हो कि मेरी परेशानी दूर हो, वह मदद के लिए किसी गैरुल्लाह को पुकारना चाहे जो उसे मुसीबत से छुटकारा दिला दे….. अब….
अगर सवाल करने वाले और उस हस्ती के बीच (जिसे मदद के लिए पुकारा जाता है) सैकड़ों किलोमीटर की दूरी हो तो वह जिंदगी में या मरने के बाद कब्र में पुकारने वाले की आवाज क्या सुन सकता है?❓❓❓
2⃣ क्या वह हस्ती दुनिया की हर जबान जानती है? क्योकि हर मुल्क और इलाकेवाला उसे अपनी जबान में पुकारेगा.
अगर हजारों लाखों लोग एक वकत में उस हस्ती के सामने अपनी हाजत (जरूरियात) पेश करें तो क्या वह सब की पुकार उसी वकत सुन और समझ लेते है?❓❓❓
3⃣ क्या वह हस्ती हंमेशा जागती है? या कभी उसे नींद भी आती है? अगर नींद आती है तो पुकारनेवाले को यह इल्म होना जरुरी है की वह हस्ती कब जग रही है और कब वह नींद में होती है?❓❓❓
ताकि अपनी हाजत उसी वक़्त पेश करें जब वह हस्ती सो ना रही हो या वह क्या वह हस्ती नींद में सुनती भी है❓❓❓
4⃣ अगर कोई गूंगा शख्स अपनी हाजत पेश करें तो क्या वह उस (गूंगे) के दिल की पुकार भी सुन सकतें है?❓❓❓
5⃣ अगर वह हस्ती तमाम मुश्किलात हल कर सकती है और हाजते पूरी कर सकती है तो फिर अल्लाहताला
(अल्लाह माफ करे,,,अल्लाह की पनाह)
की क्या जरुरत रह जाती है?❓❓❓
6⃣ अगर वह हस्ती तमाम मुश्किलात हल नहीं कर सकती तो हमें मालूम होना चाहिए कि वह कौन कौन सी मुश्किलात हल कर सकती है?❓❓❓
7⃣ और अल्लाहताला किन मुश्किलात को हल करने पर कादिर है?❓❓❓
ताकि सवाली अपनी मुश्किल उसी के सामने पेश करे जो उसे हल करने पर कादिर हो❗❗❗
8⃣ अल्लाह के सिवा जो हस्ती मुश्किल दूर कर सकती है क्या वह मुश्किल में डाल भी सकती है?❓❓❓
या उसका काम सिर्फ मुश्किलात को हल करना है? ❓❓❓
अगर ऐसा है तो फिर मुश्किल में डालनेवाला कौन है?❓❓❓
9⃣ अगर अल्लाहताला मुश्किल में डालना चाहे और गैरुल्लाह मुश्किल से बचाना चाहे और दोनों अपने इरादे पर जमें रहे तो जीत किस की होगी?❓❓❓
या कौन अपना फैसला वापस लेगा?❓❓❓
🔟 अगर किसी भले या बुरे शख्स का जनाजा पढ़ना हो तो उसकी बख्शीश के लिए अल्लाह को पुकारा जाए या गैरुल्लाह को?❓❓❓
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अहले इल्म हजरात से गुजारिश है कि हमारी इस्लाह करे.
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Lables :-
Dua Ibadat h!
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✨Quran or Hadis ki Roshni me is Post me aap ne padha
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✅Ambiya Allehisallaam or Auliya Allah ki Duae!
✅Pukarna Ibadat h
✅Gerullah ko pukaarna Shirk h.
✅Gerullah ko pukarna Kufr h.
✅Gerullah ko madad ke liye pukaarna Ajaab ka baais h.
✅Gerullah ko pukaarna Shetaan ki Ibadat h.
✅Gerullah ko pukaarna Besud h.
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