. 🌐निदा-ए-हक🌐
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♻🍃🍂दर्से-हदीस🍂🍃♻
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Topic :- सफबन्दी जरुरी !
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📎"Narrated Anas bin Malik:
The Prophet (ﷺ) said, ' Make your rows straight, for straightening the rows is part of completing the prayer.’”
Reference : Sahih al-Bukhari 723
حَدَّثَنَا أَبُو الْوَلِيدِ، قَالَ حَدَّثَنَا شُعْبَةُ، عَنْ قَتَادَةَ، عَنْ أَنَسٍ، عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ " سَوُّوا صُفُوفَكُمْ فَإِنَّ تَسْوِيَةَ الصُّفُوفِ مِنْ إِقَامَةِ الصَّلاَةِ ".
المرجع: صحيح البخاري723
📎"हजरत अनस बिन मालिक से रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने फ़र्माया कि 'अपनी सफों को दुरूस्त करो बिलाशुब्हासफों की दुरुस्तगी इक़ामते-सलात में से है'।"
हवाला : सहीह बुखारी 723
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📎"Narrated Anas bin Malik:
The Prophet (ﷺ) said, "Straighten your rows for I see you from behind my back." Anas added, "Everyone of us used to put his shoulder with the shoulder of his companion and his foot with the foot of his companion."
Reference : Sahih al-Bukhari 725
In-book reference : : Book 10(Call to Prayers), Hadith 119
حَدَّثَنَا عَمْرُو بْنُ خَالِدٍ، قَالَ حَدَّثَنَا زُهَيْرٌ، عَنْ حُمَيْدٍ، عَنْ أَنَسٍ، عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ " أَقِيمُوا صُفُوفَكُمْ فَإِنِّي أَرَاكُمْ مِنْ وَرَاءِ ظَهْرِي ". وَكَانَ أَحَدُنَا يُلْزِقُ مَنْكِبَهُ بِمَنْكِبِ صَاحِبِهِ وَقَدَمَهُ بِقَدَمِهِ."
المرجع: صحيح البخاري 725
في كتاب مرجعي: (كتاب الأذان)10,
الحديث:119
📎"हजरत अनस रजि. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैही व सल्लम ने फ़र्माया- 'सफ़ो को सीधा किया करो क्योंकि मै तुमको पीठ के पीछे भी देख लेता हु (यानी यह आपका मोअजिजा था)।
हजरत अनस रजि. कहते है की हम में से हर आदमी अपना कन्धा दूसरे कंधे से और अपना कदम दूसरे के कदम से सफ़ो में मिला देता था।"
हवाला : सहीह बुखारी 725
किताबी हवाला : किताब 10 (किताब अल अजान),हदीस 119
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📎"Al-Nu’man b. Bashir said:
the Messenger of Allah (ﷺ) paid attention to the people and said three times; straighten your rows (in prayer);
you must straighten your rows, or allah will create crack in the hearts of all.I then saw that every person stood in prayer keeping his shoulder close to that of the other, and his knee close to that of the other, and his ankle close to that of the other."
Reference : Sunan Abi Dawud 662
Grade : Sahih (Albani)
حَدَّثَنَا عُثْمَانُ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، حَدَّثَنَا وَكِيعٌ، عَنْ زَكَرِيَّا بْنِ أَبِي زَائِدَةَ، عَنْ أَبِي الْقَاسِمِ الْجَدَلِيِّ، قَالَ سَمِعْتُ النُّعْمَانَ بْنَ بَشِيرٍ، يَقُولُ أَقْبَلَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم عَلَى النَّاسِ بِوَجْهِهِ فَقَالَ " أَقِيمُوا صُفُوفَكُمْ " . ثَلاَثًا " وَاللَّهِ لَتُقِيمُنَّ صُفُوفَكُمْ أَوْ لَيُخَالِفَنَّ اللَّهُ بَيْنَ قُلُوبِكُمْ " . قَالَ فَرَأَيْتُ الرَّجُلَ يُلْزِقُ مَنْكِبَهُ بِمَنْكِبِ صَاحِبِهِ وَرُكْبَتَهُ بِرُكْبَةِ صَاحِبِهِ وَكَعْبَهُ بِكَعْبِهِ .
المرجع: سنن أبي داود 662
الصف: صحيح ( الألباني )
📎"नोमान बिन बशीर रजि. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने लोगो की तरफ मुह करके फरमाया -
'लोगो ! अपनी सफे सीधी करो। लोगो ! अपनी सफे ठीक करो। लोगो ! अपनी सफे बराबर करो।'
'सुनो अगर तुमने सफे सीधी न की तो अल्लाह तआला तुम्हारे दिलो में फूट डाल देगा।'
हदीस के रावी (रिवायत करने वाले) कहते की फिर तो यह हालत हो गयी कि (उन्होंने देखा) 'हर आदमी अपने साथी के टखने से टखना, घुटने से घुटना (यानि पिंडली से लेकर घुटने तक) और कंधे से कन्धा चिपका दिया करता था'।"
हवाला : अबु दाउद 662
श्रेणी : सहीह (अल्बानी)
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✅नोट :- मुसलमान भाइयो ! यह थी सहाबा की सफ बंदी जो रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने सब मुसलमानो पर जरुरी करार दी थी। लेकिन आज मसुलमान इस तरह दुरी से खड़े होते है कि एक दुसरे से छू गए तो नापाक हो जाएंगे। हमारे अंदर फ़ुट की एक वजह यह भी है कि हम सफ़ो को नहीं मिलाते , सीधी नहीं करते। भाइयो ! अच्छी तरह याद रखो की सफे मिलाया करो , सीधी रखा करो , दो आदमी मिलकर इस तरह से खड़े हुआ करो कि जेसे एक ही हों । पैर,टखनों,एड़िया,पिंडलियां और कंधे अच्छी तरह जोड़कर खड़े हुआ करो। जिस तरह सहाबा रजि. खड़े हुआ करते थे। जब आप रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम के फरमान के मुताबिक सफ़ो में खड़े हुआ करेंगे तो आप पर अल्लाह की अनगिनत रहमते नाजिल होगी और आपस में मुहब्बत,एकता और इत्तिफ़ाक पैदा होगा।इंशाअल्लाह।
आजकल की बेतरतीब सफ बंदी के बारे में अल्लामा इकबाल ने क्या अच्छा कहा है-
मुसलमानो में खूं बाकी नहीं है,
मुहब्बत का जुनूँ बाकी नहीं है।
सफे कज दिल परेशां सज्दा बेजौंक,
की जज्ब-ए-अन्दरुं बाकी नहीं है।।
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Topic :- सफबन्दी जरुरी !
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📎"Narrated Anas bin Malik:
The Prophet (ﷺ) said, ' Make your rows straight, for straightening the rows is part of completing the prayer.’”
Reference : Sahih al-Bukhari 723
حَدَّثَنَا أَبُو الْوَلِيدِ، قَالَ حَدَّثَنَا شُعْبَةُ، عَنْ قَتَادَةَ، عَنْ أَنَسٍ، عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ " سَوُّوا صُفُوفَكُمْ فَإِنَّ تَسْوِيَةَ الصُّفُوفِ مِنْ إِقَامَةِ الصَّلاَةِ ".
المرجع: صحيح البخاري723
📎"हजरत अनस बिन मालिक से रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने फ़र्माया कि 'अपनी सफों को दुरूस्त करो बिलाशुब्हासफों की दुरुस्तगी इक़ामते-सलात में से है'।"
हवाला : सहीह बुखारी 723
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📎"Narrated Anas bin Malik:
The Prophet (ﷺ) said, "Straighten your rows for I see you from behind my back." Anas added, "Everyone of us used to put his shoulder with the shoulder of his companion and his foot with the foot of his companion."
Reference : Sahih al-Bukhari 725
In-book reference : : Book 10(Call to Prayers), Hadith 119
حَدَّثَنَا عَمْرُو بْنُ خَالِدٍ، قَالَ حَدَّثَنَا زُهَيْرٌ، عَنْ حُمَيْدٍ، عَنْ أَنَسٍ، عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ " أَقِيمُوا صُفُوفَكُمْ فَإِنِّي أَرَاكُمْ مِنْ وَرَاءِ ظَهْرِي ". وَكَانَ أَحَدُنَا يُلْزِقُ مَنْكِبَهُ بِمَنْكِبِ صَاحِبِهِ وَقَدَمَهُ بِقَدَمِهِ."
المرجع: صحيح البخاري 725
في كتاب مرجعي: (كتاب الأذان)10,
الحديث:119
📎"हजरत अनस रजि. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैही व सल्लम ने फ़र्माया- 'सफ़ो को सीधा किया करो क्योंकि मै तुमको पीठ के पीछे भी देख लेता हु (यानी यह आपका मोअजिजा था)।
हजरत अनस रजि. कहते है की हम में से हर आदमी अपना कन्धा दूसरे कंधे से और अपना कदम दूसरे के कदम से सफ़ो में मिला देता था।"
हवाला : सहीह बुखारी 725
किताबी हवाला : किताब 10 (किताब अल अजान),हदीस 119
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📎"Al-Nu’man b. Bashir said:
the Messenger of Allah (ﷺ) paid attention to the people and said three times; straighten your rows (in prayer);
you must straighten your rows, or allah will create crack in the hearts of all.I then saw that every person stood in prayer keeping his shoulder close to that of the other, and his knee close to that of the other, and his ankle close to that of the other."
Reference : Sunan Abi Dawud 662
Grade : Sahih (Albani)
حَدَّثَنَا عُثْمَانُ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، حَدَّثَنَا وَكِيعٌ، عَنْ زَكَرِيَّا بْنِ أَبِي زَائِدَةَ، عَنْ أَبِي الْقَاسِمِ الْجَدَلِيِّ، قَالَ سَمِعْتُ النُّعْمَانَ بْنَ بَشِيرٍ، يَقُولُ أَقْبَلَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم عَلَى النَّاسِ بِوَجْهِهِ فَقَالَ " أَقِيمُوا صُفُوفَكُمْ " . ثَلاَثًا " وَاللَّهِ لَتُقِيمُنَّ صُفُوفَكُمْ أَوْ لَيُخَالِفَنَّ اللَّهُ بَيْنَ قُلُوبِكُمْ " . قَالَ فَرَأَيْتُ الرَّجُلَ يُلْزِقُ مَنْكِبَهُ بِمَنْكِبِ صَاحِبِهِ وَرُكْبَتَهُ بِرُكْبَةِ صَاحِبِهِ وَكَعْبَهُ بِكَعْبِهِ .
المرجع: سنن أبي داود 662
الصف: صحيح ( الألباني )
📎"नोमान बिन बशीर रजि. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने लोगो की तरफ मुह करके फरमाया -
'लोगो ! अपनी सफे सीधी करो। लोगो ! अपनी सफे ठीक करो। लोगो ! अपनी सफे बराबर करो।'
'सुनो अगर तुमने सफे सीधी न की तो अल्लाह तआला तुम्हारे दिलो में फूट डाल देगा।'
हदीस के रावी (रिवायत करने वाले) कहते की फिर तो यह हालत हो गयी कि (उन्होंने देखा) 'हर आदमी अपने साथी के टखने से टखना, घुटने से घुटना (यानि पिंडली से लेकर घुटने तक) और कंधे से कन्धा चिपका दिया करता था'।"
हवाला : अबु दाउद 662
श्रेणी : सहीह (अल्बानी)
____________________________________
✅नोट :- मुसलमान भाइयो ! यह थी सहाबा की सफ बंदी जो रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम ने सब मुसलमानो पर जरुरी करार दी थी। लेकिन आज मसुलमान इस तरह दुरी से खड़े होते है कि एक दुसरे से छू गए तो नापाक हो जाएंगे। हमारे अंदर फ़ुट की एक वजह यह भी है कि हम सफ़ो को नहीं मिलाते , सीधी नहीं करते। भाइयो ! अच्छी तरह याद रखो की सफे मिलाया करो , सीधी रखा करो , दो आदमी मिलकर इस तरह से खड़े हुआ करो कि जेसे एक ही हों । पैर,टखनों,एड़िया,पिंडलियां और कंधे अच्छी तरह जोड़कर खड़े हुआ करो। जिस तरह सहाबा रजि. खड़े हुआ करते थे। जब आप रसूलुल्लाह सल्ललाहो अल्लैहि व सल्लम के फरमान के मुताबिक सफ़ो में खड़े हुआ करेंगे तो आप पर अल्लाह की अनगिनत रहमते नाजिल होगी और आपस में मुहब्बत,एकता और इत्तिफ़ाक पैदा होगा।इंशाअल्लाह।
आजकल की बेतरतीब सफ बंदी के बारे में अल्लामा इकबाल ने क्या अच्छा कहा है-
मुसलमानो में खूं बाकी नहीं है,
मुहब्बत का जुनूँ बाकी नहीं है।
सफे कज दिल परेशां सज्दा बेजौंक,
की जज्ब-ए-अन्दरुं बाकी नहीं है।।
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