Monday, 18 January 2016

इमाम तिर्मिज़ी रह.का रफयदैन पर तब्सिरा

✨Topic 
इमाम तिर्मिज़ी रह.का रफयदैन पर तब्सिरा
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حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، وَابْنُ أَبِي عُمَرَ، قَالاَ حَدَّثَنَا سُفْيَانُ بْنُ عُيَيْنَةَ، عَنِ الزُّهْرِيِّ، عَنْ سَالِمٍ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم إِذَا افْتَتَحَ الصَّلاَةَ يَرْفَعُ يَدَيْهِ حَتَّى يُحَاذِيَ مَنْكِبَيْهِ وَإِذَا رَكَعَ وَإِذَا رَفَعَ رَأْسَهُ مِنَ الرُّكُوعِ ‏.‏ وَزَادَ ابْنُ أَبِي عُمَرَ فِي حَدِيثِهِ وَكَانَ لاَ يَرْفَعُ بَيْنَ السَّجْدَتَيْنِ ‏.‏
۞"हजरत सालिम रह. (ताबेईन) से रिवायत और वह अपने बाप (अब्दुल्लाह बिन उमर रजि.) से रिवायत करते है की कहा उन्होंने,'मैने रसूलुल्लाह  ﷺ को देखा,जब आप नमाज शुरू करते तो दोनों हाथ कंधो तक उठाते,इसी तरह रूकू से पहले और रूकू से सर उठाते वक्त दोनों हाथो को उठाते और सज्दो के बीच में न करते'।"
📚Reference : Jami` at-Tirmidhi 255
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♻Note 
इमाम शाफ़ई और इमाम मालिक रह. भी सहीह रिवायत के मुताबिक रफयदैन के काइल व फ़ाइल (अमल पैरा) थे उनसे इस मसले पर कोई इख्तिलाफ और बहस रिवायत नहीं।इमाम तिर्मिज़ी रह. हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रजि. की रफयदैन वाली हदीस (255) नक़ल करने के बाद लिखते (256 में) है:
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وَبِهَذَا يَقُولُ بَعْضُ أَهْلِ الْعِلْمِ مِنْ أَصْحَابِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم مِنْهُمُ ابْنُ عُمَرَ وَجَابِرُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ وَأَبُو هُرَيْرَةَ وَأَنَسٌ وَابْنُ عَبَّاسٍ وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ الزُّبَيْرِ وَغَيْرُهُمْ وَمِنَ التَّابِعِينَ الْحَسَنُ الْبَصْرِيُّ وَعَطَاءٌ وَطَاوُسٌ وَمُجَاهِدٌ وَنَافِعٌ وَسَالِمُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ وَسَعِيدُ بْنُ جُبَيْرٍ وَغَيْرُهُمْ ‏.‏ وَبِهِ يَقُولُ مَالِكٌ وَمَعْمَرٌ وَالأَوْزَاعِيُّ وَابْنُ عُيَيْنَةَ وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ الْمُبَارَكِ وَالشَّافِعِيُّ وَأَحْمَدُ وَإِسْحَاقُ ‏.‏
۞"यही बात सहाबा किराम से अहले इल्म कहते है।इनमे से इब्ने उमर,जाबिर बिन अब्दुल्लाह,अबु हुरैरह,अनस,इब्ने अब्बास,अब्दुल्लाह बिन जुबैर वगैरह और ताबेईन में से हसन बसरी,अता ताऊस,मुजाहिद,नाफेअ,सालिम बिन अब्दुल्लाह और सईद बिन जुबैर वगैरह और यही बात अईमा किराम में से इमाम मालिक,इमाम मुअमर,इमाम औजाई,इब्ने उऐना,इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक ,इमाम शाफिई,इमाम अहमद और इमाम इस्हाक़ बिन राहवैह (रह.) कहते है,इन सब का यही कौल है (यानी रफयदैन करने की ताईद)।

♻इसके आगे इमाम तिर्मिज़ी रह. ने इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह. का कौल नक़ल किया है
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وَقَالَ عَبْدُ اللَّهِ بْنُ الْمُبَارَكِ قَدْ ثَبَتَ حَدِيثُ مَنْ يَرْفَعُ يَدَيْهِ وَذَكَرَ حَدِيثَ الزُّهْرِيِّ عَنْ سَالِمٍ عَنْ أَبِيهِ وَلَمْ يَثْبُتْ حَدِيثُ ابْنِ مَسْعُودٍ أَنَّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم لَمْ يَرْفَعْ يَدَيْهِ إِلاَّ فِي أَوَّلِ مَرَّةٍ ‏.‏ حَدَّثَنَا بِذَلِكَ أَحْمَدُ بْنُ عَبْدَةَ الآمُلِيُّ حَدَّثَنَا وَهْبُ بْنُ زَمْعَةَ عَنْ سُفْيَانَ بْنِ عَبْدِ الْمَلِكِ عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ الْمُبَارَكِ ‏.‏
۞अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह. कहते है नमाज में हाथ उठाने (रफयदैन) के लिए जो हदीस आई है वह साबित है जिसे जुहेरि रह. ने सालिम रह. के वालिद से रिवायत किया और इब्ने मसऊद रजि. की यह हदीस साबित नहीं है के नबी करीम ﷺ ने सिर्फ पहली मर्तबा रफ़ेयदेन किया था (यानी वह हदीस साबित नहीं है जिसमे नबी ﷺ के सिर्फ तकबीरे तहरिमा के वक़्त हाथ उठाने का जिक्र है)।
📚Reference : Jami` at-Tirmidhi 256

♻Note
इमाम तिर्मिज़ी की इस सराहत से मालुम हुआ की 
☑इमाम मालिक,इमाम शाफ़ई और इमाम अहमद बिन हंबल (रह.) वगैरह भी रफयदैन के काइल थे। लिहाजा यह कहना की इमाम शाफिई और इमाम मालिक (रह.) के बीच इस मसले पर मतभेद था जो खत्म नहीं हुआ,सरासर गलत और बेबुनियाद है,जिसमे कोई सच्चाई नही।
दूसरी बात यह मालुम हुई के 
☑ताबेईन और तबे-ताबेईन भी रफयदैन करते थे।
☑इमाम अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह. के कौल के मुताबिक़ इब्ने मसऊद रजि. की वह हदीस जईफ है जिसमे सिर्फ तकबीरे तहरिमा के वक़्त हाथ उठाने का जिक्र है।

✅अत: यह साबित हो गया की रफ़यदैन मंसूख नहीं हुआ लिहाजा रफयदैन सुन्नते नबवी (ﷺ) है और शुरू से लेकर आजतक किताब व सुन्नत के मानने वालों का इस पर अमल है।
🌹अल्हम्दुलिल्लाह
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