Wednesday, 10 February 2016

रसूलुल्लाह (ﷺ) की नमाज पर दस सहाबा की गवाही

✨Topic
रफयदैन पर दस सहाबा की गवाही,
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✅मुहम्मद बिन अम्र बिन अता' (ताबे) रिवायत करते है अबु हुमीद अस-सईदी रजि0 से,
वह (मुहम्मद) कहते है,
हजरत अबु हुमीद रजि0 से रिवायत है की उन्होंने रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) के दस सहाबा रजि0 (की जमाअत) में कहा की
मैं तुम सबसे ज्यादा रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) की नमाज के तरीके को जानता हु।
सहाबा किराम रजि0 ने कहा : आपको तो हमेशा बाद में (रसूलुल्लाह की) सोहबत मिली है और ना ही आप रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) की सोहबत में हमेशा ज्यादा रहे है।
तो उन्होंने कहा,"फिर भी"।
फिर सहाबा किराम रजि0 ने कहा (हमारे रूबरू रसुलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم) की नमाज का तरीका) बयान करो ।
सहाबा रजि0 ने कहा : जब रसूलुल्लाह (صلى الله عليه وسلم)  नमाज के लिए खड़े होते (तो) अपने दोनों हाथ  कंधो के बराबर उठाते फिर तकबीर (‏ اللَّهُ أَكْبَرُ) कहते फिर किरअत करते फिर (रूकू के लिए) तकबीर (‏ اللَّهُ أَكْبَرُ) कहते और अपने दोनों हाथ कंधो के बराबर उठाते फिर रूकू करते और अपने हथेलियो घुटनों पर रख देते गोया की उन्हें पकड़ा हो, फिर (रूकू के दौरान) कमर सीधी रखते , पस अपना सर झुकाते और ना बुलंद करते. (यानी पीठ और सर बराबर रखते) और फिर अपना सर रूकू से उठाते और समिअल्ला हुलिमन हमिदा ( ‏ ‏"‏ سَمِعَ اللَّهُ لِمَنْ حَمِدَهُ ‏"‏ ‏) कहते , फिर अपने दोनों हाथ कंधो के बराबर उठाते और सीधे खड़े हो जाते, फिर  कहते अल्लाहु अकबर(‏ اللَّهُ أَكْبَرُ) कहते , फिर ज़मीन की तरफ सज्दे के लिए झुकते पस अपने दोनों हाथ (बाजू) अपने दोनों पहलुओं से (रानो और जमीन) से दूर रखते और अपने दोनों पाँव की उंगलिया खोलते (इस तरह के उंगलियो के सिरे किब्ला रुख होते) फिर अपना सर सज्दे से उठाते और अपना बायां पाँव मोड़ते (यानी बिछा लेते) फिर उस पर बैठते और सिधे होते यहाँ तक की हर हड्डी अपनी जगह पर आ जाती (अर्थात बड़े इत्मीनान से जलसे में बैठते) ,
फिर (दूसरा) सज्दा करते,फिर अल्लाहु अकबर (‏ اللَّهُ أَكْبَرُ)  कहते और उठाते और फिर दूसरा सज्दा करते,फिर (अल्लाहु अकबर) कहते और उठाते और अपना बाँया पाँव मोड़ कर उस पर बैठते और इस कदर इत्मीनान से (जलसा ए इस्तराहत में) बैठे रहते की हर हड्डी अपनी जगह पर आ जाती,फिर खड़े होते और इसी तरह दूसरी रकअत में करते ।
फिर जब दो रकअत पढ़ कर (अर्थात तशह्हुद के बाद) खड़े होते तो तकबीर(‏ اللَّهُ أَكْبَرُ) कह कर और दोनो हाथ कंधो के बराबर उठाते जैसे नमाज के शुरू में तकबीर के अव्वल के वक्त किया था। फिर इसी तरह अपनी बाकी नमाज में करते यहाँ तक की जब वोह सज्दा होता जिसके बाद सलाम फेरना होता (अर्थात आखरी रकअत का दूसरा सज्दा जिसके बाद बैठकर तशह्हूद,दरूद और दुआ पढ़ कर सलाम फेरते है) तो आप ( صلى الله عليه وسلم ) तवर्रूक करते (यानी अपना बायाँ पाँव दायीं पिंडली के निचे से बाहर निकाल कर बाए सिरे (कूल्हे) पर बैठ जाते,और दाये पांव के पंजे को क़िबला रुख कर लेते),  दायें हाथ को दाए घुटने और बाए हाथ को बाए घुटने पर रखते और शहादत की ऊँगली से इशारा फरमाते, और फिर सलाम फेरते थे (यह सुन कर) उन सहाबाओ ने कहा ' आपने सच कहा रसूलुल्लाह ( صلى الله عليه وسلم ) इसी तरह नमाज पढ़ा करते थे'।"

✅Reference Books
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✨Reference : Sunan Abi Dawud 734
In-book reference : Book 2, Hadith 344
Grade : Sahih (Al-Albani rah.)

✨Sunan Ibn Majah
Arabic reference : Book 5, Hadith 911

✨Reference : Jami` at-Tirmidhi 304
In-book reference : Book 2, Hadith 156
Grade: Hajrat Abu Eisa  Tirmidhi rah. said: This  Hadith is Hasan Sahih
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