♻मोमिन को सज्दे में देखकर शैतान रोता है
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۞"حَدَّثَنَا أَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، حَدَّثَنَا أَبُو مُعَاوِيَةَ، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ أَبِي صَالِحٍ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ ـ صلى الله عليه وسلم ـ " إِذَا قَرَأَ ابْنُ آدَمَ السَّجْدَةَ فَسَجَدَ اعْتَزَلَ الشَّيْطَانُ يَبْكِي يَقُولُ يَا وَيْلَهُ أُمِرَ ابْنُ آدَمَ بِالسُّجُودِ فَسَجَدَ فَلَهُ الْجَنَّةُ وَأُمِرْتُ بِالسُّجُودِ فَأَبَيْتُ فَلِيَ النَّارُ " .
۞"हजरत अबु हुरैरह रजि. से रिवायत है की रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते है,'जब आदम का बेटा (मोमिन) सज्दे की आयत पढता है फिर,सज्दा करता है तो शैतान रौता हुआ एक तरफ होकर कहता है- हाय मुसीबत मुझे, आदम का बेटा को सज्दे का हुक्म किया गया, उसने सज्दा किया तो उसके लिए जन्नत है और मुझे सज्दे का हुक्म दिया गया,मैने हुक्म नहीं माना तो मेरे लिए आग है'।"
✨Reference : Sahih Muslim 81
✨Reference : Sunan Ibn Majah,Book 5, Hadith 1105
✅मुलाहिजा- शैतान अल्लाह के सज्दे के
हुक्म से नाफरमान होकर जहन्नमी हुआ।हमें भी पांचो नमाजो में सज्दे का हुक्म है।इस सज्दे के हुक्म की पाबंदी से हम उस वक़्त पूरा उतरेंगे जब हम बाकायदा पांचो नमाजे वक़्त पर अदा करेंगे और अगर हमने कोई नमाज छोड़ी तो सज्दे के नाफरमान होंगे
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♻जन्नत में अल्लाह के रसूल (ﷺ) का साथ
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۞"حَدَّثَنَا الْحَكَمُ بْنُ مُوسَى أَبُو صَالِحٍ، حَدَّثَنَا هِقْلُ بْنُ زِيَادٍ، قَالَ سَمِعْتُ الأَوْزَاعِيَّ، قَالَ حَدَّثَنِي يَحْيَى بْنُ أَبِي كَثِيرٍ، حَدَّثَنِي أَبُو سَلَمَةَ، حَدَّثَنِي رَبِيعَةُ بْنُ كَعْبٍ الأَسْلَمِيُّ، قَالَ كُنْتُ أَبِيتُ مَعَ رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم فَأَتَيْتُهُ بِوَضُوئِهِ وَحَاجَتِهِ فَقَالَ لِي " سَلْ " . فَقُلْتُ أَسْأَلُكَ مُرَافَقَتَكَ فِي الْجَنَّةِ . قَالَ " أَوَغَيْرَ ذَلِكَ " . قُلْتُ هُوَ ذَاكَ . قَالَ " فَأَعِنِّي عَلَى نَفْسِكَ بِكَثْرَةِ السُّجُودِ " .
۞"हजरत रबीआ बिन काअब रजि. रिवायत करते हुए कहते है की मै एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ था, और मै हुजूर (ﷺ) के लिए वुजू का पानी और आपकी (अन्य) जरुरत लाता था। हुजूर (ﷺ) ने फ़र्माया : चाह (की खुदा के सामने तेरे लिए अर्ज करू) मैने कहा 'मै आपका साथ चाहता हु जन्नत में ।' हुजूर (ﷺ) ने कहा 'और कुछ इसके सिवा? मैने कहा,बस वही । फिर हुजूर (ﷺ) ने फ़र्माया '
'तो मदद करो मेरी अपनी जात के लिए सज्दो की ज्यादती से'।"
✨Reference : Sahih Muslim 489
✅जिस तरह हकीम मरीज को कहे कि अच्छा होने के लिए मै तेरे लिए कोशिश करता हु और तू मेरी हिदायत के मुताबिक़ दवाई के इस्तेमाल और परहेज करने के साथ मेरी मदद करो। इसी तरह हुजूर (ﷺ) रबीआ रजि. को फ़र्माया कि मै तेरे मकसद के लिए दुआ से कोशिश करता हूँ और तू सज्दो की ज्यादती के साथ मेरी कोशिश में मेरी मदद कर। इस तरह तुझे जन्नत में मेरा साथ हासिल होगा
प्यारे भाइयो और बहनो! अगर हम चाहते है की आख़िरत में हमें रसूलुल्लाह (ﷺ) का साथ मिले तो हमें पांचो नमाजे अदा करते रहना चाहिए ताकि हमें सज्दो की ज्यादती हासिल हो और हर नमाज के हर सज्दे में नेक नीयती और इत्मीनान को सज्दे की जान समझे।
अल्लाह तआला से दुआ है कि, 'ऐ अल्लाह की हमें कुरआन और सुन्नत के रास्ते पर चला,हमें शिर्क और बिदअत से दूर रखते हुए पांचो वक़्तों की नमाज बाजमाअत अता करने की तौफीक अता फ़र्मा,हमें दुनिया और आख़िरत में कामयाब करते हुए जहन्नम की आग से बचा ।
----आमीन----
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