Thursday, 25 February 2016

तशह्हुद में शहादत की ऊँगली को हरकत देना {रफअ सब्बाबा}

✨Topic 
तशह्हुद में शहादत की ऊँगली को हरकत देना {रफअ सब्बाबा}
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♻नमाज में ऊँगली का उठाना रसूलुल्लाह (ﷺ) की बड़ी बरकत और महानता वाली सुन्नत है। यह अल्लाह के एक होने का अमली इकरार है।
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حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، حَدَّثَنَا لَيْثٌ، عَنِ ابْنِ عَجْلاَنَ، ح قَالَ وَحَدَّثَنَا أَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، - وَاللَّفْظُ لَهُ - قَالَ حَدَّثَنَا أَبُو خَالِدٍ الأَحْمَرُ، عَنِ ابْنِ عَجْلاَنَ، عَنْ عَامِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ الزُّبَيْرِ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ كَانَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم إِذَا قَعَدَ يَدْعُو وَضَعَ يَدَهُ الْيُمْنَى عَلَى فَخِذِهِ الْيُمْنَى وَيَدَهُ الْيُسْرَى عَلَى فَخِذِهِ الْيُسْرَى وَأَشَارَ بِإِصْبَعِهِ السَّبَّابَةِ وَوَضَعَ إِبْهَامَهُ عَلَى إِصْبَعِهِ الْوُسْطَى وَيُلْقِمُ كَفَّهُ الْيُسْرَى رُكْبَتَهُ ‏.‏
۞"हजरत अब्दुल्लाह बिन जुबैर रजि.रिवायत करते हुए कहते है की जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बैठते (नमाज में) तशह्हुद पढ़ने को तो अपना दायां हाथ अपनी दाई रान पर रखते और बायां हाथ अपनी बायीं रान पर रखते,और अपनी शहादत की ऊँगली के साथ इशारा करते और अपना अंगूठा अपनी बीच की ऊँगली के बीच में रखते"
✨Reference : Sahih Muslim 579 B
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وَحَدَّثَنِي مُحَمَّدُ بْنُ رَافِعٍ، وَعَبْدُ بْنُ حُمَيْدٍ، قَالَ عَبْدٌ أَخْبَرَنَا وَقَالَ ابْنُ رَافِعٍ، حَدَّثَنَا عَبْدُ الرَّزَّاقِ، أَخْبَرَنَا مَعْمَرٌ، عَنْ عُبَيْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ، عَنْ نَافِعٍ، عَنِ ابْنِ عُمَرَ، أَنَّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم كَانَ إِذَا جَلَسَ فِي الصَّلاَةِ وَضَعَ يَدَيْهِ عَلَى رُكْبَتَيْهِ وَرَفَعَ إِصْبَعَهُ الْيُمْنَى الَّتِي تَلِي الإِبْهَامَ فَدَعَا بِهَا وَيَدَهُ الْيُسْرَى عَلَى رُكْبَتِهِ الْيُسْرَى بَاسِطُهَا عَلَيْهَا
۞"हजरत इब्ने उमर रजि. रिवायत करते हुए कहते है की रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बैठते थे तशह्हुद में तो वें रखते थे, अपने बाएं घुटने पर बाया हाथ और  दाहिने घुटने पर दाहिना हाथ और उठाते थे अपनी दाहिनी ऊँगली जो अंगूठे के नजदीक है दुआ मांगते साथ उसके"‏.‏
✨Reference : Sahih Muslim 580 
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أَخْبَرَنَا قُتَيْبَةُ، قَالَ حَدَّثَنَا سُفْيَانُ، عَنْ عَاصِمِ بْنِ كُلَيْبٍ، عَنْ أَبِيهِ، عَنْ وَائِلِ بْنِ حُجْرٍ، قَالَ رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ) صلى الله عليه وسلم يَرْفَعُ يَدَيْهِ إِذَا افْتَتَحَ الصَّلاَةَ وَإِذَا رَكَعَ وَإِذَا رَفَعَ رَأْسَهُ مِنَ الرُّكُوعِ وَإِذَا جَلَسَ أَضْجَعَ الْيُسْرَى وَنَصَبَ الْيُمْنَى وَوَضَعَ يَدَهُ الْيُسْرَى عَلَى فَخِذِهِ الْيُسْرَى وَيَدَهُ الْيُمْنَى عَلَى فَخِذِهِ الْيُمْنَى وَعَقَدَ ثِنْتَيْنِ الْوُسْطَى وَالإِبْهَامَ وَأَشَارَ ‏.‏
۞"हजरत वाइल बिन हुज्र रिवायत करते हुए कहते है 'मेने देखा रसूलुल्लाह (ﷺ) हाथ उठाकर नमाज शुरू करते ,और फिर रूकू करते,फिर रूकू से सिर उठाते,फिर बैठते तो अपना बायां पाँव जमीन की तरफ रखते और दाहिने पैर को खड़ा (सीधा) रखते,और अपना दायां हाथ अपनी दाई रान (जांघ) पर रखते और बायां हाथ अपनी बायीं रान पर रखते,और अपनी बीच की ऊँगली (कलमें की ऊँगली) और अंगूठे को मिलाकर दायरा बनाते और इशारा करते"
✨Reference : Sunan an-Nasa'i 1264
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حَدَّثَنَا عَلِيُّ بْنُ مُحَمَّدٍ، حَدَّثَنَا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ إِدْرِيسَ، عَنْ عَاصِمِ بْنِ كُلَيْبٍ، عَنْ أَبِيهِ، عَنْ وَائِلِ بْنِ حُجْرٍ، قَالَ رَأَيْتُ النَّبِيَّ ـ صلى الله عليه وسلم ـ قَدْ حَلَّقَ الإِبْهَامَ وَالْوُسْطَى وَرَفَعَ الَّتِي تَلِيهِمَا يَدْعُو بِهَا فِي التَّشَهُّدِ ‏.‏
۞"हजरत वाइल बिन हुज्र रिवायत करते है की 'मेने देखा की रसूलुल्लाह (ﷺ) अपनी बीच की ऊँगली (कलमें की ऊँगली) और अंगूठे को मिलाकर दायरा बनाते और इसके बाद उठाते (इशारा करते) इसे (शहादत/तर्जनी ऊँगली को), दुआ करते इसके साथ में दौराने तशह्हुद में"
✨Grade : Sahih
✨Reference : Sunan Ibn Majah 912
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قَالَ وَكَيْفَ كَانَ يَصْنَعُ قَالَ فَوَضَعَ يَدَهُ الْيُمْنَى عَلَى فَخِذِهِ الْيُمْنَى وَأَشَارَ بِأُصْبُعِهِ الَّتِي تَلِي الإِبْهَامَ فِي الْقِبْلَةِ وَرَمَى بِبَصَرِهِ إِلَيْهَا أَوْ نَحْوِهَا ثُمَّ قَالَ هَكَذَا رَأَيْتُ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم يَصْنَعُ ‏.‏
۞"हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रजि.से रिवायत है : .................दाहिने घुटने पर दाहिना हाथ रखते और उठाते थे अपनी दाहिनी ऊँगली जो अंगूठे के नजदीक है 
अंगूठे के पास वाली ऊँगली (तर्जनी) को क़िबला रुख करके इशारा करते और अपनी निगाह उसी पर रखते,
इसके बाद उन्होंने फ़र्माया 'मेंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को ऐसा ही करते देखा'।"
✨Reference : Sunan an-Nasa'i 1161
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♻अल्लामा नासिरुद्दीन अल्बानी रह. फ़र्माते 
है ,-'इस हदीस में दलील है की सुन्नत तरीका ये है की ऊँगली का इशारा और हरकत सलाम तक जारी रहे क्योंकि दुआ सलाम से जुडी है।'
मजीद तफ्सील (विस्तृत विवरण) के लिए अल्लामा नासिरुद्दीन अल्बानी रह. की किताब ✨'तमामुल मनिहा' की तरफ रुजुअ किया जा सकता है।
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✅ हदीस की इबारते बता रही है की आप (ﷺ) नमाज में दौराने तशह्हुद में बैठकर दोनों हाथ दोनों घुटनो पर रखते और उस वक़्त दाए (सीधे) हाथ की तर्जनी (शहादत) ऊँगली से इशारा (हरकत) करते हुए दुआ करते रहते।
इस दौरान अपनी ऊँगली किब्ला रुख रखते और अपनी निगाह उसी पर रखते।

✅ बेहतर तरीका ऊँगली उठाने का यह हुआ की तशह्हुद में बैठते ही अंगूठे के बीच की ऊँगली के बीच में रखकर  बाकी उंगलिया बंद करके कलिमे की ऊँगली (तर्जनी) को खड़ी करके धीरे धीरे इशारा करते हुए दुआ करे और सलाम तक ऊँगली से हरकत जारी  रखे। कुछ रिवायत में ऊँगली को थोडा झुका कर रखने का भी जिक्र है।

✅ ऊँगली को हिलाने का फलसफा यह है की जब ऊँगली को खड़ा किया तो उसने तौहीद की गवाही दी की अल्लाह एक है।फिर जब ऊँगली को बार बार हिलाना शुरु किया तो उसने बार बार एक,एक,एक होने का एलान किया। एक रिवायत में आता है की 'शहादत की ऊँगली उठाना (तशह्हुद में) बहुत सख्त है शैतान पर लोहे (के भाले मारने से)'

✅ सिर्फ एक मर्तबा ऊँगली उठाकर रख देना अथवा सिर्फ "‏ أَشْهَدُ أَنْ لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ"
पर उठाना,इसके बारे में सहीह अहादीस से कोई दलील नहीं मिलती 
,जिस रिवायत में है की नबी करीम (ﷺ) तशह्हुद में ऊँगली को हरकत नहीं देते थे वो हदीस भी जईफ है।

✅ रसूलुल्लाह (ﷺ) की सुन्नत रफअ सब्बाबा को आपने अच्छी तरह समझ लिया होगा की हुजूर (ﷺ) तशह्हुद में शहादत की ऊँगली उठायी है अतः इस सुन्नत पर अमल करे।
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--------------|    ‏ وَاللَّهُ أَعْلَمُ    ।
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