✅ ज्यादा सहीह बात ये है की सज्दा के लिए झुकते वक़्त पहले जमींन पर हाथ रखने चाहिए जैसा की इस सहीह हदीस से जानकारी मिलती है।
حَدَّثَنَا سَعِيدُ بْنُ مَنْصُورٍ، حَدَّثَنَا عَبْدُ الْعَزِيزِ بْنُ مُحَمَّدٍ، حَدَّثَنِي مُحَمَّدُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ حَسَنٍ، عَنْ أَبِي الزِّنَادِ، عَنِ الأَعْرَجِ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم " إِذَا سَجَدَ أَحَدُكُمْ فَلاَ يَبْرُكْ كَمَا يَبْرُكُ الْبَعِيرُ وَلْيَضَعْ يَدَيْهِ قَبْلَ رُكْبَتَيْهِ "
۞"हजरत अबु हुरैरह (रजि.) से रिवायत है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया,'जब कोई तुममें से सज्दा करे तो ऊंट की तरह न बैठे बल्कि अपने हाथ घुटनों से पहले रखे'।"
✨Grade : Sahih (Al-Albani)
Reference : Sunan Abi Dawud 840
✅ इस हदीस की सनद जय्यिद है। इमाम नववी,इमाम जुरकानी,इमाम अब्दुल हक़,शबीली और अल्लामा मुबारकपुरी (रह.) ने इसको सहीह कहा है।
हाफिज इब्ने हजर अस्कलानी ने कहा है की यह हदीस, हजरत वाइल बिन हुज्र (रजि.) वाली हदीस से ज्यादा मजबूत है।
✨ (सुबुलुस्स्लाम)
✅ इस हदीस के लिए सय्यिदिना अब्दुल्लाह बिन उमर (रजि.) वाली हदीस भी गवाह है।
۞"नाफेह (रह.) से रिवायत है की अब्दुल्लाह बिन उमर (रजि.) घुटनों से पहले अपने हाथ रखा करते थे और फ़र्माते थे, 'रसूलुल्लाह (ﷺ) ऐसा ही किया करते थे।'
✨ इब्ने खुजैमा,दारे-कुत्नी,
बैहकी हाकिम
✅ इस हदीस को इमाम हाकिम (रह.) ने मुस्लिम की शर्त पर सहीह कहा है और इमाम ज़हबी (रह.) ने उनकी सहमति की है।
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♻जो लोग सज्दे में जाते हुए पहले घुटने रखने के काइल है वो यह रिवायत पेश करते है-
۞"हजरत वाइल बिन हुज्र रजि. से रिवायत है की मेने रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा जब 'आप सज्दा करते तो दोनो घुटने हाथो से पहले जमींन पर रखते और जब सज्दे से उठते तो दोनों हाथ घुटनो से पहले उठाते'।"
✨ Grade : Da'if (week/कमजोर)
Reference : Jami` at-Tirmidhi 268/
Nasai/Abu Dawud/Ibne Majah. etc..
〰लेकिन यह रिवायत जईफ (कमजोर) है इसकी सनद में शरीक बिन अब्दुल्लाह काजी रावी जईफ है।
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♻ऊपर बयान हदीसों से ये बात जाहिर हो जाती है क़ि राजेह और कवी मजहब यही है की सज्दे में जाते वक्त आदमी घुटनो के बजाए पहले अपने हाथ जमींन पर रखे।
✅ इमाम औजाई रह. ,इमाम मालिक रह.,इमाम इब्ने हजम रह. और एक रिवायत के मुताबिक इमाम अहमद बिन हम्बल रह. का भी यही दृष्टीकोण है।
✅ अगर हजरत वाइल बिन हुज्र रजि. की इस हदीस को सहीह भी तस्लीम कर लिया जाए फिर भी तर्जीह इसी मोकफ को है।इसलिए की सय्यिदिना अबु हुरैरह रजि. की हदीस कौली है और वाइल बिन हुज्र वाली हदीस फेअली है और तुलना करने की सूरत में कौली हदीस फेअली हदीस पर तर्जीह दी जाती है और हजरत अबु हुरैरह रजि. की हदीस की शाहिद हजरत इब्ने उमर रजि. वाली सहीह हदीस भी है।हजरत अबु हुरैरह रजि.की हदीस में हाथो से पहले घुटने रखने की मुमानअत है और तुलना करने की सूरत में मुमानअत वाली रिवायत को तर्जिह दी जाती है।
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حَدَّثَنَا سَعِيدُ بْنُ مَنْصُورٍ، حَدَّثَنَا عَبْدُ الْعَزِيزِ بْنُ مُحَمَّدٍ، حَدَّثَنِي مُحَمَّدُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ حَسَنٍ، عَنْ أَبِي الزِّنَادِ، عَنِ الأَعْرَجِ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم " إِذَا سَجَدَ أَحَدُكُمْ فَلاَ يَبْرُكْ كَمَا يَبْرُكُ الْبَعِيرُ وَلْيَضَعْ يَدَيْهِ قَبْلَ رُكْبَتَيْهِ "
۞"हजरत अबु हुरैरह (रजि.) से रिवायत है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया,'जब कोई तुममें से सज्दा करे तो ऊंट की तरह न बैठे बल्कि अपने हाथ घुटनों से पहले रखे'।"
✨Grade : Sahih (Al-Albani)
Reference : Sunan Abi Dawud 840
✅ इस हदीस की सनद जय्यिद है। इमाम नववी,इमाम जुरकानी,इमाम अब्दुल हक़,शबीली और अल्लामा मुबारकपुरी (रह.) ने इसको सहीह कहा है।
हाफिज इब्ने हजर अस्कलानी ने कहा है की यह हदीस, हजरत वाइल बिन हुज्र (रजि.) वाली हदीस से ज्यादा मजबूत है।
✨ (सुबुलुस्स्लाम)
✅ इस हदीस के लिए सय्यिदिना अब्दुल्लाह बिन उमर (रजि.) वाली हदीस भी गवाह है।
۞"नाफेह (रह.) से रिवायत है की अब्दुल्लाह बिन उमर (रजि.) घुटनों से पहले अपने हाथ रखा करते थे और फ़र्माते थे, 'रसूलुल्लाह (ﷺ) ऐसा ही किया करते थे।'
✨ इब्ने खुजैमा,दारे-कुत्नी,
बैहकी हाकिम
✅ इस हदीस को इमाम हाकिम (रह.) ने मुस्लिम की शर्त पर सहीह कहा है और इमाम ज़हबी (रह.) ने उनकी सहमति की है।
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♻जो लोग सज्दे में जाते हुए पहले घुटने रखने के काइल है वो यह रिवायत पेश करते है-
۞"हजरत वाइल बिन हुज्र रजि. से रिवायत है की मेने रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा जब 'आप सज्दा करते तो दोनो घुटने हाथो से पहले जमींन पर रखते और जब सज्दे से उठते तो दोनों हाथ घुटनो से पहले उठाते'।"
✨ Grade : Da'if (week/कमजोर)
Reference : Jami` at-Tirmidhi 268/
Nasai/Abu Dawud/Ibne Majah. etc..
〰लेकिन यह रिवायत जईफ (कमजोर) है इसकी सनद में शरीक बिन अब्दुल्लाह काजी रावी जईफ है।
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♻ऊपर बयान हदीसों से ये बात जाहिर हो जाती है क़ि राजेह और कवी मजहब यही है की सज्दे में जाते वक्त आदमी घुटनो के बजाए पहले अपने हाथ जमींन पर रखे।
✅ इमाम औजाई रह. ,इमाम मालिक रह.,इमाम इब्ने हजम रह. और एक रिवायत के मुताबिक इमाम अहमद बिन हम्बल रह. का भी यही दृष्टीकोण है।
✅ अगर हजरत वाइल बिन हुज्र रजि. की इस हदीस को सहीह भी तस्लीम कर लिया जाए फिर भी तर्जीह इसी मोकफ को है।इसलिए की सय्यिदिना अबु हुरैरह रजि. की हदीस कौली है और वाइल बिन हुज्र वाली हदीस फेअली है और तुलना करने की सूरत में कौली हदीस फेअली हदीस पर तर्जीह दी जाती है और हजरत अबु हुरैरह रजि. की हदीस की शाहिद हजरत इब्ने उमर रजि. वाली सहीह हदीस भी है।हजरत अबु हुरैरह रजि.की हदीस में हाथो से पहले घुटने रखने की मुमानअत है और तुलना करने की सूरत में मुमानअत वाली रिवायत को तर्जिह दी जाती है।
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