✨Topic
नमाज में आमीन का मसला हदीस की रोशनी में
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حَدَّثَنَا بُنْدَارٌ، مُحَمَّدُ بْنُ بَشَّارٍ حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ سَعِيدٍ، وَعَبْدُ الرَّحْمَنِ بْنُ مَهْدِيٍّ، قَالاَ حَدَّثَنَا سُفْيَانُ، عَنْ سَلَمَةَ بْنِ كُهَيْلٍ، عَنْ حُجْرِ بْنِ عَنْبَسٍ، عَنْ وَائِلِ بْنِ حُجْرٍ، قَالَ سَمِعْتُ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم قَرَأَ: (غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلاَ الضَّالِّينَ ) فَقَالَ " آمِينَ
. وَمَدَّ بِهَا صَوْتَهُ . قَالَ وَفِي الْبَابِ عَنْ عَلِيٍّ وَأَبِي هُرَيْرَةَ . قَالَ أَبُو عِيسَى حَدِيثُ وَائِلِ بْنِ حُجْرٍ حَدِيثٌ حَسَنٌ . وَبِهِ يَقُولُ غَيْرُ وَاحِدٍ مِنْ أَهْلِ الْعِلْمِ مِنْ أَصْحَابِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم وَالتَّابِعِينَ وَمَنْ بَعْدَهُمْ يَرَوْنَ أَنَّ الرَّجُلَ يَرْفَعُ صَوْتَهُ بِالتَّأْمِينِ وَلاَ يُخْفِيهَا ."
۞"हजरत वाइल बिन हज्र रिवायत करते हुए कहते है की मेने सुना है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पढ़ा वलज्जालीन फिर कहा आमीन (और) लम्बी की आवाज इसके साथ अपनी।"
"हजरत अबु ईसा तिर्मिज़ी रह. फ़र्माते 'हजरत वाइल बिन हुज्र रजि.' से रिवायत हदीस "हसन हदीस" है और अहले इल्म, सहाबा और ताबईन का यही फ़तवा है कि हर आदमी ज़ोर से आमीन कहे, आहिस्ता न कहे. यही फ़तवा है इमाम शाफ़ई, इमाम अहमद और इमाम इस्हाक़ (रह.) का और इस मसअले में हज़रत अली रजि. और अबू हुरैरह रज़ि. से भी रिवायत हैं "
✨Grade : Sahih
Reference : Jami` at-Tirmidhi 248
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حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ كَثِيرٍ، أَخْبَرَنَا سُفْيَانُ، عَنْ سَلَمَةَ، عَنْ حُجْرٍ أَبِي الْعَنْبَسِ الْحَضْرَمِيِّ، عَنْ وَائِلِ بْنِ حُجْرٍ، قَالَ كَانَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم إِذَا قَرَأَ { وَلاَ الضَّالِّينَ } قَالَ " آمِينَ " . وَرَفَعَ بِهَا صَوْتَهُ
۞"हजरत वाइल बिन हज्र रिवायत करते हुए कहते है की मेने सुना है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पढ़ा वलज्जालीन फिर कहा आमीन (और) लम्बी की आवाज इसके साथ अपनी।"
✨Grade : Sahih (Al-Albani rah.)
Reference : Sunan Abi Dawud 932
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أَخْبَرَنَا مُحَمَّدُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عَبْدِ الْحَكَمِ، عَنْ شُعَيْبٍ، حَدَّثَنَا اللَّيْثُ، حَدَّثَنَا خَالِدٌ، عَنِ ابْنِ أَبِي هِلاَلٍ، عَنْ نُعَيْمٍ الْمُجْمِرِ، قَالَ صَلَّيْتُ وَرَاءَ أَبِي هُرَيْرَةَ فَقَرَأَ { بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ } الرَّحِيمِ ثُمَّ قَرَأَ بِأُمِّ الْقُرْآنِ حَتَّى إِذَا بَلَغَ { غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلاَ الضَّالِّينَ } فَقَالَ آمِينَ . فَقَالَ النَّاسُ آمِينَ . وَيَقُولُ كُلَّمَا سَجَدَ اللَّهُ أَكْبَرُ وَإِذَا قَامَ مِنَ الْجُلُوسِ فِي الاِثْنَيْنِ قَالَ اللَّهُ أَكْبَرُ وَإِذَا سَلَّمَ قَالَ وَالَّذِي نَفْسِي بِيَدِهِ إِنِّي لأَشْبَهُكُمْ صَلاَةً بِرَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم .
۞"हजरत नईमुल मुजमर फ़र्माते है - 'मैनें अबु हुरैरह (रजि.) के पीछे नमाज पढ़ी तो उन्होंने 'बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम' पढ़ी फिर सूरह फातिहा पढ़ी,जब 'गैरिल मग्जूबि अल्लैहि वलज्जालींन' पर पहुचे तो 'आमीन' कही और लोगो ने भी 'आमीन' कही। और वो जब सज्दा करते तो अल्लाहु अकबर कहते और जब दो रकअत पढ़ कर उठते तो अल्लाहु अकबर कहते। फिर जब सलाम फेरा तो कहा- उस जात की कसम जिसके हाथ में मेरी जान है ! मै तुमसे ज्यादा रसूलुल्लाह (ﷺ) की नमाज के मुशाबेह (अनुरूप) हुँ'।"
✨Grade : Sahih
Reference : Sunan an-Nasa'i 905/906
In-book reference : Book 11, Hadith 30
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حَدَّثَنَا عُثْمَانُ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، حَدَّثَنَا حُمَيْدُ بْنُ عَبْدِ الرَّحْمَنِ، حَدَّثَنَا ابْنُ أَبِي لَيْلَى، عَنْ سَلَمَةَ بْنِ كُهَيْلٍ، عَنْ حُجَيَّةَ بْنِ عَدِيٍّ، عَنْ عَلِيٍّ، قَالَ سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ ـ صلى الله عليه وسلم ـ إِذَا قَالَ {وَلاَ الضَّالِّينَ} قَالَ " آمِينَ .
۞"हज़रत अली रज़ि. फ़रमाते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) से सुना कि जब आपने ‘वलज्ज़ाल्लीन’ कहा तो फ़रमाया 'आमीन'."
✨Grade : Sahih
Arabic reference : Sunan Ibn Majah»854
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حَدَّثَنَا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ يُوسُفَ، قَالَ أَخْبَرَنَا مَالِكٌ، عَنِ ابْنِ شِهَابٍ، عَنْ سَعِيدِ بْنِ الْمُسَيَّبِ، وَأَبِي، سَلَمَةَ بْنِ عَبْدِ الرَّحْمَنِ أَنَّهُمَا أَخْبَرَاهُ عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، أَنَّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم قَالَ " إِذَا أَمَّنَ الإِمَامُ فَأَمِّنُوا فَإِنَّهُ مَنْ وَافَقَ تَأْمِينُهُ تَأْمِينَ الْمَلاَئِكَةِ غُفِرَ لَهُ مَا تَقَدَّمَ مِنْ ذَنْبِهِ ". وَقَالَ ابْنُ شِهَابٍ وَكَانَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم يَقُولُ " آمِينَ
۞"अबू हुरैरह रजि. बयान फरमाते है कि आप (ﷺ) ने फ़र्माया',"कहो आमीन" कहे जब इमाम इसे और इस आमीन से अगर किसी एक की भी आमीन फरिश्तों की आमीन से मिल जाती है,तो इसके बाद उसके सभी पिछले गुनाहों को माफ कर दिया जाएगा"
इब्ने शाहिब फरमाते है" अल्लाह के पैगम्बर (ﷺ) कहा करते थे, "अमीन।"
✨Reference : Sahih al-Bukhari 780
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حَدَّثَنَا إِسْحَاقُ بْنُ مَنْصُورٍ، أَخْبَرَنَا عَبْدُ الصَّمَدِ بْنُ عَبْدِ الْوَارِثِ، حَدَّثَنَا حَمَّادُ بْنُ سَلَمَةَ، حَدَّثَنَا سُهَيْلُ بْنُ أَبِي صَالِحٍ، عَنْ أَبِيهِ، عَنْ عَائِشَةَ، عَنِ النَّبِيِّ ـ صلى الله عليه وسلم ـ قَالَ " مَا حَسَدَتْكُمُ الْيَهُودُ عَلَى شَىْءٍ مَا حَسَدَتْكُمْ عَلَى السَّلاَمِ وَالتَّأْمِينِ .
۞"हज़रत आयशा रज़ि.से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया "यहूदी तुमसे किसी चीज़ से इतना हसद (जलन) नहीं रखते जितना सलाम और आमीन से"
✨Grade : Sahih
Arabic reference : Sunan Ibn Majah 856
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✅ हज़रत अता इब्न अबी रिबाह रह.(जो एक ताबिई और इमाम अबू हनीफ़ा रह.के उस्ताद थे) इन अल्फ़ाज़ में शहादत पेश करते हैं "मैंने ख़ुद मस्जिदे हरम में इमाम के ' वलज्ज़ाल्लीन ' कहने के बाद 200 सहाबा को जोर से आमीन कहते हुए सुना."
✨ बैहक़ी 2/59
✅ मौलाना अब्दुल हई लखनवी फ़रंगी महली (रह.) फ़र्माते हैं " अगर इन्साफ़ से पूछा जाए तो सच बात यह है कि ज़ोर से आमीन कहने का मसअला दलील के लिहाज़ से ज़्यादा क़वी (मज़बूत) है."
✨ तअलीकुल मुमज्जद पेज 103
✅ अल्लामा इब्ने जौज़ी रह.फ़रमाते हैं “ किसी एक सहाबी का भी बुलंद आवाज से आमीन का इन्कार साबित नहीं है बल्कि इस पर उनका इज्मा है.”
✨ तोह्फ़तुल जौज़ी पेज 66
✅ शाह वली उल्लाह मुहद्दिस देहलवी रह. फ़रमाते हैं " इससे मालूम हुआ कि मुक़्तदी अपने इमाम की आवाज़ सुन कर ख़ुद भी आमीन कहे."
✨ हुज्जतुलाहिल बालिग़ह 2/7
♻तमाम अहादिसे रसूल (ﷺ) जिनका ऊपर हवाला पेश किया गया की रौशनी में यह साबित होता है की जहरी नमाज में जोर से आमीन बोलना सुन्नत है।
जब आप अकेले नमाज पढ़ रहे हो तो आमीन धीरे से कहे।जब जुहर और अस्र इमाम के पीछे पढ़े तो भी धीरे से कहना चाहिए लेकिन जब आप जोर वाली नमाज में हो इमाम के पीछे तो जिस वक़्त इमाम वलज्जालीन कहे तो आमीन कहनी चाहिए, बल्कि इमाम भी सुन्नत की पैरवी मे आमीन पुकार कर कहे।
प्यारे भाइयो आप आमीन से नफरत न करे बल्कि रसूलुल्लाह (ﷺ) की सुन्नत पर अमल करने वाले बने।
कब्र परस्ती का रद्द हदीस की रौशनी में
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--------------| وَاللَّهُ أَعْلَمُ ।
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उर्दू स्केन:-
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